Muzaffarpur: ये कैसी स्मार्ट सिटी? हल्की बारिश ने खोली पोल
स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर से जो तस्वीरें आई है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि यह इतनी स्मार्ट बन गई है कि यहां के लोगों को अब घूमने के लिए नदियों और तालाबों के किनारे जाने की जरूरत ही नहीं है.
highlights
- बारिश के पानी में डूबा अस्पताल
- मुश्किलों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल
- जलजमाव होने से कई घरों में पानी घुसा
Muzaffarpur:
स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर से जो तस्वीरें आई है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि यह इतनी स्मार्ट बन गई है कि यहां के लोगों को अब घूमने के लिए नदियों और तालाबों के किनारे जाने की जरूरत ही नहीं है. हल्की बारिश होने के बाद यहां की सड़कें ही नदियों और तालाबों में तब्दील हो जाती है. मुजफ्फरपुर में स्मार्ट सिटी की यही हालत है. सड़कों पर पानी है और पानी में बड़े-बड़े गड्ढे हैं. ऐसे में अगर सड़क पर निकलने की सोच रहे हैं तो अपने रिस्क पर निकलिए क्योंकि स्मार्ट सिटी की स्मार्ट सड़कें आपके लिए आफत बन सकती है. सड़कों पर जमा ये पानी हल्की बारिश का नतीजा है. सोचिए अगर हल्की बारिश में ये आलम है, तो अगर मानसून ने अपना रूप दिखा दिया तो शहर ही डूब जाएगा.
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बारिश के पानी में अस्पताल डूबा
निगम प्रशासन की पोल खोलने वाली ये तस्वीरें बताने को काफी है कि यहां की सड़कों पर ड्रेनेज के लिए कितनी व्यवस्था की गई है. शहर का हृदयस्थली मोतीझील, इस्लामपुर रोड, तिलक मैदान रोड सभी बारिश के पानी में डूब चुका है. बारिश के पानी में सदर अस्पताल भी डूब गया है. अस्पताल परिसर में घुटनों तक पानी जमा है. अस्पताल आने जाने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी की सबसे बड़ी खासियत सड़कों के गड्ढे हैं, जो पानी जमा होने के बाद दिखता ही नहीं, लेकिन हादसे को दावत जरूर देते हैं.
ग्रामीणों की मुश्किलों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल
जलजमाव से कांवड़ियों को भी बेहद परेशानी हो रही है, जो गंगाजल लेकर जलाभिषेक करने बाबा गरीबनाथ धाम पहुंच रहे हैं. शहर के निचले इलाके में भी जलजमाव होने से कई घरों में पानी घुस गया है. मुजफ्फरपुर की इस हालात के लिए लोग मेयर और नगर आयुक्त को दोषी ठहरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि चुनाव के समय मेयर ने चुनावी वादे तो किए, लेकिन जीतने के बाद तमाम वादों को भूल गए. जनता को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया है. अब स्मार्ट सिटी की अगर ये हालत है तो ग्रामीण इलाकों की क्या दुर्दशा होगी ये अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. जरूरत है कि जनप्रतिनिधि हो या अधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए सड़कों के साथ ड्रेनेज व्यवस्था को दुरुस्त करें.
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