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Heavy Rain in Bihar: कटिहार में महानंदा का कोहराम, आफत में लोगों की जान

लगातार हो रही बारिश से मुसीबतें अभी शुरू ही हुई थी कि नेपाल से आए सैलाब ने कटिहार के लोगों की आफत और बढ़ा दी.

Updated on: 17 Jul 2023, 02:05 PM

highlights

  • महानंदा का कोहराम
  • कटिहार में त्राहिमाम
  • उफान पर महानंदा
  • आफत में लोगों की जान

Katihar:

लगातार हो रही बारिश से मुसीबतें अभी शुरू ही हुई थी कि नेपाल से आए सैलाब ने कटिहार के लोगों की आफत और बढ़ा दी. सैलाब ऐसा आया कि लोगों के घर, खेत और खलिहान सब नदी के आगोश में समा गए. नदी ने सैकड़ों घरों को लील लिया. तो लोग बचा-कुचा सामान लेकर ऊंची जगहों पर पलायन करने लगे हैं. नेपाल के तराई इलाकों में भारी बारिश के बाद महानंदा में ऐसा सैलाब आया कि कटिहार के आजमनगर प्रखंड के शिव मंदिर टोला, इमाम नगर, बैरिया , सोलकंधा, बेलंदा जैसे कई गांव जलमग्न हो गए हैं. आजमनगर प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क पर बाढ़ का पानी फैल गया और लोगों की परेशानी बढ़ गई.

उफान पर महानंदा

महानंदा नदी के रौद्र रूप ने ग्रामीणों को दहशत में डाल दिया है. डेंजर लेवल पार करते हुए नदी विकराल रूप ले चुकी है. लोगों को डर है कि साल 2017 वाले हालात ना बन जाए. प्रशासन महानंदा बांध की लगातार निगरानी कर रहा है. जगह-जगह पर बोरे में बालू मिट्टी भरकर रखा गई है, लेकिन लोगों का डर कम नहीं हो रहा है. लोग स्थानीय नेताओं और अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

कटिहार में त्राहिमाम

महानंदा के आगोश में अब तक 200 से अधिक घर समा चुके हैं. कटाव रोकने के लिए प्रशासन ने बम्बू पायलिंग कराई थी, लेकिन इस साल कटाव फिर से शुरू हो गया है. जिनके आशियाने बचे हैं वे लोग अब उन्हें तोड़कर बची-कुची ईटें लेकर पलायन कर रहे हैं. न्यूज स्टेट की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो लोगों ने अपना दर्द बयां किया.

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'बाढ़' में गई बच्चों की पढ़ाई

बाढ़ के पानी में घर तो डूबे ही, बच्चों के स्कूल और कॉलेज भी पानी में डूब गए. गंगा और महानंद का पानी कटिहार के अमदाबाद प्रखंड के में घुस गया. पूरा इलाका जलमग्न हो गया है और लोग उंचे स्थान पर पलायन कर चुके हैं तो नया प्राथमिक विद्यालय, बथना भी पानी-पानी हो गया और बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे रह गई.

हर साल आती है बाढ़

बहरहाल, बिहार की ये तस्वीरें हर साल देखने को मिलती है. हर साल बिहार करीब 3 महीने बाढ़ में डूबा रहता है. बड़े, बुजुर्ग और युवा हर साल बाढ़ का दर्द झेलते हैं, लेकिन कोई स्थाई हल नहीं निकल पाता. लोगों के घर, किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं तो बच्चों की पढ़ाई हर साल प्रभावित होती है, लेकिन तबाही का  मंजर नहीं बदलता. इसे त्रासदी कहें या लोगों की किस्मत, लेकिन हकीकत तो यही है.