Bihar News: फाइलों में गुम हो गया सरकार का वादा, विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर जैसा हाल

सैकड़ों साल पहले पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का केंद्र विक्रमशिला विश्वविद्यालय का हाल वैसे तो खड़हरों जैसा है, लेकिन आज भी कभी ज्ञान का केंद्र रहे विक्रमशिला के लोग विक्रमशिला विश्वविद्यालय के गौरव को लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

सैकड़ों साल पहले पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का केंद्र विक्रमशिला विश्वविद्यालय का हाल वैसे तो खड़हरों जैसा है, लेकिन आज भी कभी ज्ञान का केंद्र रहे विक्रमशिला के लोग विक्रमशिला विश्वविद्यालय के गौरव को लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

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Jatin Madan
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कभी था विश्वविख्यात आज खंडहर जैसा हाल.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

सैकड़ों साल पहले पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का केंद्र विक्रमशिला विश्वविद्यालय का हाल वैसे तो खड़हरों जैसा है, लेकिन आज भी कभी ज्ञान का केंद्र रहे विक्रमशिला के लोग विक्रमशिला विश्वविद्यालय के गौरव को लौटने का इंतजार कर रहे हैं. हर बार चुनाव के समय में सरकार विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University) के उत्थान के लिए कई दावें करती है, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद विक्रमशिला विश्वविद्यालय का हाल वैसा का वैसा ही रह जाता है.

कभी था विश्वविख्यात आज खंडहर जैसा हाल

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विक्रमशिला आज से सैकड़ों साल पहले भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में मशहुर था. ख्याति ऐसी कि भारत के अलावा दुनिया के कई देशों से लोग विक्रमशिला विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का भी वही हाल हुआ जो नालंदा विश्वविद्यालय का हुआ था. खैर ये तो इतिहास की बात है, लेकिन आज भी देश को आजाद हुए 75 सालों के बाद भी विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वही हाल है. कई सरकारें आई और कई गई, लेकिन विक्रमशिला विश्वविद्यालय जस का तस रहा. हाल ऐसा कि खंडहरों को जब आप देखेंगे तो इसकी भव्यता और गौरवशाली अतीत का अनुभव होगा. 

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सालों से इंतजार

वैसे तो सालों से विक्रमशिला विश्वविद्यालय नालंदा की तरह गौरव वापस होने का रास्ता देख रही है, लेकिन हर बार वादों के  बाद भी केंद्र और राज्य सरकार ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया. 2014 में भागलपुर में चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का वादा किया था. बकायदा इसके लिए राज्य सरकार से जमीन की रिपोर्ट भी मांगी गई थी. 200 एकड़ जमीन भी चिन्हित कर रिपोर्ट सौंप दी गई, लेकिन उसके बाद एक बार फिर से केंद्रीय विश्वविद्यालय की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई. अब पिछले 8 सालों से इसकी स्थापना का दौर कागजों में हांफ रहा है. सांसद निशिकांत दुबे ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के गौरव को वापस लौटाने के लिए संसद में कई बार आवाज उठाई है, लेकिन ससंद भवन में उठी आवाज के बाद भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा.

बहरहाल, भारत की सांस्कृतिक और शैक्षणिक महत्व को दर्शाती विश्वविख्यात विक्रमशिला विश्वविद्यालय एक बार फिर से ज्ञान का केंद्र बनने के लिए इंतजार कर रहा है, लेकिन फिलहाल इंतजार है कि कब एक बार फिर से केंद्रीय विश्वविद्यालय की फाइल पर सरकार की नजर पड़ेगी. आखिर कब सरकार विक्रमशिला विश्वविद्यालय का गौरव लौटाने के लिए जोर शोर से लगेगी.

रिपोर्ट : आलोक कुमार झा

HIGHLIGHTS

  • चुनावी वादों की बात...कब होगा साकार
  • सालों से इंतजार...अब तो सुन लो सरकार
  • कहीं फाइलों में गुम हो गया सरकार का वादा
  • कभी था विश्वविख्यात आज खंडहर जैसा हाल

Source : News State Bihar Jharkhand

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