Bihar News: बिहार में एक ऐसा गांव है जहां के युवक-युवतियों की शादियां नहीं हो पा रही है. हाल ये है कि कोई रिश्ते देखने आता है तो उल्टे पांव वापस लौट जाता है. ये हैरान कर देने वाला मामला गया जिले से करीब 8 किलोमीटर दूर बसे नैली गांव का है, जहां बूढ़े मां-बाप अपने बच्चों की शादी के लिए परेशान हैं.
इसलिए नहीं हो रही शादी
दरअसल, नैली गांव के इन हालातों के पीछे का कारण है यहां की बदबूदार हवा, जिसमें हजारों लोग सालों से मजबूरन सांस ले रहे हैं. इस गांव की ये तस्वीर किसी त्रासदी से कम नहीं है. ग्रामीण इसे 'बिहार का धारावी-2' कहकर पहचानते हैं. गांव के पास बना डंपिंग यार्ड अब यहां के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है. नगर निगम का यह डंपिंग यार्ड रोजाना करीब 700 टन कचरा जमा करता है. कचरे से निकलने वाली बदबू गोपी बीघा, दुबहल और आजाद बीघा जैसे आसपास के गांवों को भी प्रभावित कर रही है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण लोगों का कहना है कि गांव में शादी-ब्याह जैसी सामाजिक गतिविधियां ठप सी हो गई हैं. विकास नाम के ग्रामीण ने बताया, 'हम जैसे-तैसे जी रहे हैं, लेकिन हमारे बच्चों का क्या? चापाकल का पानी भी अब बदबूदार और जहरीला हो गया है. कई बार उसमें कचरे की गंध तक आती है.' इसके अलावा बालचंद मांझी नामक एक ग्रामीण ने बताया कि उनके घर का चापाकल बोरी से बांधकर रखा जाता है ताकि कोई गलती से पानी न पी ले. 'यह पानी अब जानलेवा हो चुका है'.
डंपिंग यार्ड बन रहा परेशानी
डंपिंग यार्ड के पास बना कचरा प्लांट भी ग्रामीणों को कोई राहत नहीं दे पाया है. करोड़ों की लागत से बना यह प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा. सबसे बड़ी समस्या यह है कि डंपिंग यार्ड को सड़क किनारे ही बना दिया गया है. अगर इसे गांव से दूर स्थापित किया गया होता, तो शायद समस्या इतनी गंभीर नहीं होती.
मेयर की आई ये प्रतिक्रिया
हालांकि, मेयर का दावा है कि पहले यहां कूड़े का पहाड़ था, जिसे अब धीरे-धीरे हटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह बिहार-झारखंड का आइडियल डंपिंग यार्ड है. लेकिन स्थानीय लोग अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस यार्ड को कहीं और शिफ्ट किया जाए, वरना आने वाली पीढ़ी के लिए यहां जीना नामुमकिन हो जाएगा.
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