लखीसराय में गंगा का रौद्र रूप, बाढ़ की मार झेल रहे किसान

लखीसराय में बड़हिया और पिपरिया में गंगा और हरूहर नदी उफान पर है.

लखीसराय में बड़हिया और पिपरिया में गंगा और हरूहर नदी उफान पर है.

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Jatin Madan
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कई गांवों में नदियों का पानी घुस गया है. ( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

लखीसराय में बड़हिया और पिपरिया में गंगा और हरूहर नदी उफान पर है. कई गांवों में नदियों का पानी घुस गया है. जिसके चलते ग्रामीण परेशानियों का सामना कर रहे हैं. बाढ़ के पानी से सबसे ज्यादा परेशान किसान हो रहे हैं क्योंकि किसानों की कई एकड़ फसल पानी में डूब चुकी है. वहीं, शासन-प्रशासन लापरवाह बना हुआ है. लखीसराय में गंगा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. नदी उफान पर है. जिले में बाढ़ के खतरे की तलवार लटकने लगी है.

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जहां तक नजर जाती है सिर्फ पानी ही पानी दिखाई देता है. मानों पूरा गांव जलमग्न हो गया है. बाढ़ की डराने वाली ये तस्वीर जिले के बड़हिया और पिपरिया प्रखंड की है. जहां गंगा और हरूहर नदियां तेजी से गांव की ओर बढ़ रही है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसके चलते ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी है, लेकिन बाढ़ के खतरे से सबसे ज्यादा परेशान स्थानीय किसान हो रहे हैं. किसानों के खेत पहले ही डूब क्षेत्र में हैं. जिसके चलते उनकी फसलें नदी के बहाव में डूबने लगी है.

दोनों प्रखंड के गांवों में नदियों का पानी घुसने लगा है. मैदानी और शहरी इलाकों में तेजी से फैल रहे गंगा के पानी ने दर्जनों घरों को अपने आगोश में ले लिया है. लोग मचान बनाकर घरों के जरूरी सामानों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. आलम ये है कि ग्रामीणों को खाना बनाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. महिलाएं जैसे तैसे ऊंची जगहों पर जाकर खाना बना रही हैं. बाढ़ के चलते बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है क्योंकि स्कूलों में भी जल जमाव हो गया है. वहीं, मवेशियों को भी चारा नहीं मिल पा रहा है. इस बीच जो सबसे ज्यादा परेशान हैं वो है अन्नदाता... जो अपनी फसलों को जैसे तैसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि पूरा इलाका जलमग्न हो गया है लेकिन अभी तक कोई जनप्रतिनिधि ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली है.

बहरहाल, लखीसराय के बड़हिया और पिपरिया प्रखंड की हालत ने एक बार फिर शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोल रहा है. क्योंकि हर साल बारिश के मौसम में ये इलाके जलमग्र हो जाते हैं और हर बार ग्रामीणों को इसी तरह मुसीबतों के दौर से गुजरना पड़ता है, लेकिन बड़े-बड़े दावे करने वाले जनप्रतिनिधि ग्रामीणों की सुध तक नहीं लेते. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि शासन-प्रशासन बाढ़-बारिश से पहले ही ऐसे इंतजाम क्यों नहीं करते जिससे इस तरह के हालातों से आसानी से निपटा जा सके.

रिपोर्ट : अजय झा

Source : News Nation Bureau

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