logo-image

बिहार चुनाव: फतुहा विधानसभा सीट पर RJD का दबदबा, क्या रामानंद लगाएंगे हैट्रिक

फतुहा विधानसभा सीट (Fatuha Vidhan Sabha Seat) पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंदर आता है.  वर्तमान में यह सीट आरजेडी के पास है. आरजेडी के रामानंद यादव यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं.

Updated on: 06 Nov 2020, 12:23 PM

नई दिल्ली :

फतुहा विधानसभा सीट (Fatuha Vidhan Sabha Seat) पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंदर आता है.  वर्तमान में यह सीट आरजेडी के पास है. आरजेडी के रामानंद यादव यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं. आरजेडी की इस   बार भी पूरी कोशिश रहेगी कि इस सीट को अपने हाथ से ना जाने दें. 

इस बार के विधानसभा चुनाव में फतुहा विधानसभा सीट से आरजेडी (RJD) के टिकट के पर रामानंद यादव  महागठबंधन के प्रत्याशी हैं. वहीं, बीजेपी (BJP) ने सत्येंद्र कुमार सिंह को यहां से टिकट दिया है. सत्येंद्र कुमार सिंह इससे  पहले यहां से एलजेपी (LJP) के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं बीएसपी ने भी अपने उम्मीदवार यहां से उतारे हैं. 


फतुहा विधानसभा सीट 1951 में ही बन गई थी. इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. लेकिन बाद में यह सीट  कांग्रेस के हाथ से निकल गई. तब से लेकर अबतक एक बार बीच में 1969 में इस सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. कुलेश्वर  दास इस सीट से जीत दर्ज की थी. 

पिछले दो दशक की बात की जाए तो सीट आरजेडी और जेडीयू के पाले में ही रही है. पिछले चुनावों में एनडीए की ओर से  लोजपा ने यहां से उम्मीदवार उतारा था.  हालांकि उसे हार का सामना करना पड़ा था.

कब कौन इस सीट पर रहा काबिज
1980- पुनीत राय, जनता पार्टी (सेक्यूलर)
1980-पुनीत राय, लोकदल
1990-पुनीत राय, जनता दल
1995-पुनीत राय, जनता दल
2000-दिनेश चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल
2003 (उपचुनाव) ओम प्रकाश पासवान, राष्ट्रीय जनता दल
2005 (फरवरी)- सरयू पासवान, जनता दल यूनाइटेड
2005 (अक्टूबर)- सरयू पासवान, जनता दल यूनाइटेड
2009 (उपचुनाव)-अरुण मांझी, जनता दल यूनाइटेड
2010-2015- रामानंद यादव, राष्ट्रीय जनता दल

इस सीट पर जातीय समीकरण 

यहां पर कुर्मी जाति के वोटरों की संख्या अधिक है. यहां पर करीब दो लाख वोटर हैं और उनमें कुर्मी के साथ ही यादव भी हैं. 
जिसका सीधा फायदा हमेशा ही आरजेडी उठाती आई है. 

इस सीट के मुद्दे

फतुहा में भी जलजमाव की समस्या आम है. सड़क और बिजली भी यहां के मुख्य मुद्दे में शुमार हैं. रोजगार की तलाश में युवा 
बाहर पलायन कर रहे हैं. रोजगार भी यहां की मुख्य समस्या में से एक है.