Bihar News: बिहार की सबसे खास झील के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट, पलायन कर रहे लोग

पूरे बिहार में प्रचंड गर्मी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. आसमान से बरसती आग अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है तो वहीं बेगूसराय भी इससे अछूता नहीं है.

पूरे बिहार में प्रचंड गर्मी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. आसमान से बरसती आग अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है तो वहीं बेगूसराय भी इससे अछूता नहीं है.

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Jatin Madan
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Kanvar Lake

रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे लोग.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

पूरे बिहार में प्रचंड गर्मी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. आसमान से बरसती आग अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है तो वहीं बेगूसराय भी इससे अछूता नहीं है. एक तरफ जहां लोग भीषण गर्मी की वजह से घरों से निकलना भी नहीं चाहते तो वहीं रोजगार और पर्यटन को भी गर्मी ने प्रभावित करना शुरू कर दिया है. खासकर जिले के प्रसिद्ध कावर झील और जयमंगला गढ़, जो कभी पक्षियों और पर्यटकों से गुलजार रहता था. आज वो वीरान पड़ा है. आलम ये है कि बाईस सौ एकड़ में फैला जयमंगला कावर झील अब महज चंद मीटर में सिमट कर रह गया है और झील दलदल में तब्दील हो चुका है.

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मीठे पानी के झीलों में शुमार

कावर झील सिर्फ बेगूसराय ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है. दरअसल कावर झील एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी के झीलों में शुमार है. झील जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर मंझौल अनुमंडल में है. साथ ही यहां 52 शक्तिपीठों में से एक माता जयमंगला का मंदिर भी है. ऐसे में ये क्षेत्र कभी पर्यटक और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहता था, लेकिन कावर झील का पानी पूरी तरह सूख चुका है और पर्यटक की आवाजाही भी कम हो गई है.

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दूसरे राज्यों से भी आते हैं लोग

इस झील में नौका विहार का आनंद लेने दूसरे राज्यों से भी लोग आते थे, लेकिन गर्मी की मार ने मानो सबकुछ खत्म कर दिया है. आलम ये है कि लोग धीरे-धीरे जयमंगला गढ़ से लोग पलायन करने लगे हैं. क्योंकि यहां के लोगों के लिए पर्यटन सबसे बड़ा रोजगार का जरिया था और गर्मी की वजह से वो छिन चुका है. ऐसे में रोजगार की तलाश में लोग दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं.

पानी की तलाश में पशु पक्षी

झील के सूख जाने से मछली पालन भी प्रभावित हुआ है. इसके अलावा पशु पक्षी भी पानी की तलाश में भटकने को मजबूर हैं. वहीं, लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन की अनदेखी की वजह से आज उनकी ये हालत हुई है. दरअसल लोगों का आरोप है कि कावर झील गंडक नदी से जुड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने यहां अतिक्रमण शुरू कर दिया. जिससे गंडक नदी का पानी काबर में आना बंद हो गया और आज कावर झील अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद कर रहा है. अगर अभी भी प्रशासन ने झील को बचाने के लिए कोई पहल नहीं की तो कावर सिर्फ इतिहास के पन्नों पर सिमट कर रह जाएगा. जरूरत है कि शासन और प्रशासन जल्द कोई ठोस कदम उठाए ताकि इस झील को वापस जीवंत किया जा सके.

रिपोर्ट : जीवेश तरुण

HIGHLIGHTS

  • कावर झील को लगी किसकी नजर?
  • गर्मी ने ग्रामीणों के रोजगार पर डाला डाका
  • कावर झील के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट?
  • रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे लोग

Source : News State Bihar Jharkhand

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