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आजादी के 75 साल बाद भी सीवान के ये दो गांव महत्वाकांक्षी योजनाओं से वंचित

आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सीवान जिले के महाराजगंज में दो ऐसा गांव है. यहां सरकार की महत्वकांक्षी योजनाएं नहीं पहुंच पाई है.

Updated on: 19 Sep 2022, 03:31 PM

Siwan:

आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सीवान जिले के महाराजगंज में दो ऐसा गांव है. यहां सरकार की महत्वकांक्षी योजनाएं नहीं पहुंच पाई है, ना ही वहां के लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव में वोट करने की सुविधा मिलती है. जी हम बात कर रहे हैं सीवान जिले 22 किलोमीटर दूरी पर महाराजगंज अनुमंडल क्षेत्र जगदीशपुर और दूसरा गांव धनछुहा की, जहां दोनों गांव में ना तो यह गांव ग्राम पंचायत में है. ना ही नगर पंचायत में जबकि महाराजगंज अनुमंडल कार्यालय से महज 2 किलोमीटर दूरी पर जगदीशपुर गांव है. यूं कहे तो नगर पंचायत के ठीक बगल में यह सटा गांव है, लेकिन आज तक अपनी सारी सुविधाओं से वंचित है.

कई बार यहां के लोगों के द्वारा लगातार कई जगह मंत्री, विधायक, सांसद सरकार तक चक्कर काटे, उनसे अपनी गुहार लगाई, लेकिन अब तक गांव को ग्राम पंचायत में नहीं जोड़ा गया. ना ही नगर पंचायत में, यहां के लोगों का कहना है कि हम लोगों ने सभी अधिकारी पदाधिकारी को मुख्यमंत्री सबको पत्र लिखा, लेकिन आज तक इस गांव विकास नहीं हो पाया. महाराजगंज के एक समाजसेवी पुनीत पुष्कर द्वारा लगातार यह प्रयास किया जाता रहा है कि जगदीशपुर और धनछुहा गांव को या तो सरकार नगर पंचायत में जोड़ें या तो ग्राम पंचायत में.

इसको लेकर सरकार और पदाधिकारियों से अति क्षुब्ध होने के बाद पुनीत पुष्कर ने हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी दायर किया है. पुनीत पुष्कर का भी साफ तौर पर कहना है कि हम तो इस गांव के नहीं हैं. मगर इस गांव के लोगों को जो मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो सरकारी योजना मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पाती है. इस गांव के अंदर ना तो विद्यालय है, ना ही शौचालय है. यहां के लोग अपने किसी जन्म प्रमाण पत्र या मृत्यु प्रमाण पत्र या और भी सरकारी सुविधा का कागज बनवाने के लिए अनुमंडल जाते हैं तो वह इनके कामों को अनुमंडल द्वारा नहीं किया जाता है.

वह सिर्फ इतना ही है कि यह ना तो नगर पंचायत में है और ना ही ग्राम पंचायत में, इनके कामों में काफी दिक्कतें होती है. जगदीशपुर गांव के ही एक स्थानीय पत्रकार है, जिनका नाम दिलीप कुमार है. इनके द्वारा भी लगातार इस गांव के विकास और गांव के लोगों की हर सुविधा मिले, इसके लिए प्रयास किया जाता रहा है. स्थानीय पत्रकार का कहना है कि गांव के लोगों का कोई भी कागज अगर बनने के लिए अनुमंडल वे जाते हैं तो हमें खड़ा होना पड़ता है, तब जाकर उनके कामों को विभाग द्वारा पूरा किया जाता है.

बहरहाल, यहां के लोगों को अपने गांव को नगर पंचायत या ग्राम पंचायत में कराने के लिए और अपना हक लेने के लिए इन्हें एक बड़ा आंदोलन करना होगा या तो हाईकोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना होगा तभी जाकर इस गांव का नाम नगर पंचायत या ग्राम पंचायत में पाएगा.

Reporter- NIRANJAN KUMAR