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एक पुल भी नसीब नहीं.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
अररिया के रानीगंज के कदमघाट में 6 से अधिक गांवों के लोगों की जिन्दगी एक अदद चचरी के पुल के भरोसे चल रही है. देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है, लेकिन अररिया के रानीगंज के कदमघाट पर 75 साल में एक पुल भी नहीं बन सका है. करीब 6 गांव के हजारों लोग प्रशासन से एक पुल के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि सुनती ही नहीं. रानीगंज प्रखंड क्षेत्र का कदमघाट मुख्यालय से महत 3 किलोमीटर है, लेकिन 75 साल बाद भी एक पुल की सुविधा नहीं मिल सकी है. जिससे 6 से ज्यादा गांव के लोगों को बांस की चचरी पर जान जोखिम में डालकर चलना पड़ता है. एक अदद पुल का सुविधा के लिए लोग सालों से इंतजार कर रहे हैं.
बांस की चचरी के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी
बांस की चचरी के पुल के चक्कर में फंसे लोगों को सरकार से उम्मीद है, लेकिन सरकार है कि सुनने का नाम नहीं ले रही. पुल के जरिए बगुलाहा, बथनाहा, कोशकापुर उत्तर, कोशकापुर दक्षिण, नगराही जैसे गांवों के लोगों का आना-जाना होता है. घाट पर पुल नहीं होने से लोगों को 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है.
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चचरी के चक्कर में कहीं चली ना जाए जिन्दगी
सरकार ने कई बार इन ग्रामीणों से पुल बनाने का चुनावी वादा तो किया, लेकिन आजतक पुल नहीं बन सका है. चुनाव के बाद नेता वादे भूल जाते हैं और ग्रामीणों की जिन्दगी फिर इसी चचरी के पुल के भरोसे चलती रहती है. बहरहाल स्थानीय लोगों ने पुल निर्माण की मांग के लिए जिला प्रशासन से एक बार फिर अपील की है. अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इन ग्रामीणों की गुहार कब सुनती है.
रिपोर्ट : रवींद्र कुमार यादव
HIGHLIGHTS
- बांस की चचरी के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी
- आजादी के 75 साल बाद ..एक पुल भी नहीं नसीब
- चचरी के चक्कर में कहीं चली ना जाए जिन्दगी
Source : News State Bihar Jharkhand