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मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (social media)
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राजद नेता तेजस्वी यादव की ओर से मतदाता सूची को लेकर लगाए आरोपों पर चुनाव आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (social media)
राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा मतदाता सूची को लेकर लगाए गए आरोपों का चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब दिया है. आयोग ने कहा है कि शुद्ध मतदाता सूची किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत 1 अगस्त से 1 सितंबर तक पूरा एक महीना दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए तय किया गया है. चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव के सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया है
1. शुद्ध मतदाता सूची किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है.
2. एसआईआर (SIR) के अनुसार दावे और आपत्तियों की अवधि पूर्ण एक माह की है-अर्थात 1 अगस्त से 1 सितम्बर तक.
3. यदि किसी पात्र मतदाता का नाम सूची से छूटा हो या किसी अपात्र व्यक्ति का नाम सूची में आ गया हो, तो उन्हें अपनी पार्टी के 47,506 बीएलए (BLA) को दावे और आपत्तियाँ दर्ज कराने को कहना चाहिए.
4. पिछले 24 घंटों में किसी भी राजनीतिक दल के बीएलए, जिसमें राजद (RJD) भी शामिल है, ने बीएलओ के समक्ष एक भी मामला प्रस्तुत नहीं किया है.
5. उनके सभी बीएलए इस बात पर सहमत हैं कि उन्हें 1 अगस्त को दिए गए बूथवार ड्राफ्ट की सूची को ध्यानपूर्वक देखना है.
6. चुनाव आयोग यह समझ नहीं पा रहा है कि वे निराधार आरोप लगाना क्यों जारी रखे हुए हैं, जैसे कि उनका नाम सूची में नहीं है आदि.
आयोग ने साफ तौर पर कहा कि अगर तेजस्वी यादव को लगता है कि किसी पात्र मतदाता का नाम सूची से छूटा है या किसी अपात्र का नाम जोड़ा गया है, तो उन्हें अपनी पार्टी के 47,506 बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) से कहना चाहिए कि वे उचित प्रक्रिया के तहत दावे और आपत्तियाँ दर्ज कराएं. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले 24 घंटे में किसी भी राजनीतिक दल — जिसमें RJD भी शामिल है - के किसी BLA ने BLO के समक्ष एक भी मामला नहीं रखा है.
चुनाव आयोग ने बताया कि राजद सहित सभी पार्टियों के बीएलए यह मान चुके हैं कि उन्हें 1 अगस्त को सौंपी गई बूथवार ड्राफ्ट सूची को ध्यानपूर्वक जांचना है. इसके बावजूद तेजस्वी यादव द्वारा बार-बार यह आरोप लगाना कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है, न केवल निराधार है, बल्कि जनमानस को भ्रमित करने वाला भी है. आयोग ने कहा है कि वह समझ नहीं पा रहा कि तेजस्वी यादव बेबुनियाद आरोप क्यों दोहरा रहे हैं, जबकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और सभी को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया है.