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गया में 'जर्जर' हालत में शिक्षा व्यवस्था, खंडहर में पढ़ने को मजबूर छात्र

बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है. क्योंकि किसी भी देश के भविष्य की बागडोर बच्चों के ही हाथों में होती है.

Updated on: 15 Nov 2022, 04:27 PM

highlights

.'जर्जर' हालत में शिक्षा व्यवस्था
.खंडहर में पढ़ने को मजबूर छात्र
.एक रूम में बैठते हैं सैकड़ों छात्र
.शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं
.छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कब तक?

Gaya:

बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है. क्योंकि किसी भी देश के भविष्य की बागडोर बच्चों के ही हाथों में होती है. ऐसे में शासन हो या प्रशासन उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए इस भविष्य को संवारना, बच्चों को बेहतर शिक्षा देना, लेकिन बिहार में देश के भविष्यों के साथ शिक्षा के नाम पर मज़ाक किया जा रहा है. जर्जर भवन, दरारों से भरी दीवारें, दीवारों का साथ छोड़ती सीमेंट, कमरों में टूटा-फूटा फर्निचर. देखने में भवन भले ही कोई खंडहर लग रहा हो, लेकिन ये शिक्षा के मंदिर का नजारा है. गया के गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत में स्कूल भवन की तरह ही शिक्षा व्यवस्था भी जर्जर हालात में हैं.  

बरोरह पंचायत में रौंदा प्राथमिक स्कूल की हालत देख आप दंग रह जाएंगे. ऐसे भवन में बच्चों की पढ़ाई कैसे होती होगी अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है. कार्यक्रमों पर करोड़ो रुपए खर्च भी हो रहे हैं, लेकिन काम क्या हो रहा है. ये ना इन मासूम बच्चों को पता है और ना ही ग्रामीणों को, शिक्षा व्यवस्था की हालत ऐसी है कि इस प्रखंड के छात्रों को एक भवन तक नसीब नहीं हो पाया है. ज्यादातर कमरे जर्जर हैं. लिहाजा एक ही कमरे में कई बच्चों को बिठाया जा रहा है. कुछ बच्चे टेबल पर तो कुछ जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

छात्रों की संख्या ज्यादा होने पर बच्चों को स्कूल के बाहर खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जाता है. स्कूल भवन के दूसरे कमरों की हालत इतनी बदतर है कि वहां पढ़ाना तो दूर, बैठना भी बड़े हादसे को दावत देना होगा, लेकिन शासन-प्रशासन ने मानो अपनी आंखे मूंद ली है. यही वजह है कि शिकायत के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई है. वहीं, इसको लेकर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि स्कूल को लेकर समीक्षा बैठक की गई है. विभाग में राशि की कमी के चलते स्कूल भवन नहीं बन पाया है. हालांकि शिक्षा पदाधिकारी ने जल्द स्कूल भवन बनने का आश्वासन भी दिया.

शासन-प्रशासन के तमाम दावों और वादों की पोल खोलने वाली ये तस्वीर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं. बड़ा सवाल ये भी है कि अगर बिहार में शिक्षा की हालत यही रही तो राज्य के विकास के दावे बेइमानी ही साबित होंगे. 

रिपोर्ट: अजीत कुमार

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