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क्लासरूम ना होने से दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
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कैमूर में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां स्कूल है, छात्र है, पर्याप्त शिक्षक भी हैं. बावजूद छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है.
क्लासरूम ना होने से दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
कैमूर में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां स्कूल है, छात्र है, पर्याप्त शिक्षक भी हैं. बावजूद छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है. एक तरफ बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था के सुधार को लेकर लाख दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर शिक्षा व्यवस्था की हालत जस के तस हैं. कैमूर में कई ऐसे स्कूल हैं जहां संसाधनों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. कैमूर जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर में शिक्षक और छात्र दोनों ही परेशान हैं.
क्लासरूम ना होने से दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई
इस स्कूल में छात्रों की संख्या लगभग 300 है, लेकिन महज दो कमरे में पढ़ाई हो रही है. कम कमरों की वजह से पहली और तीसरी क्लास के बच्चों की पढ़ाई या तो स्कूल परिसर में मौजूद सामुदायिक केंद्र में हो रही है. सामुदायिक केंद्र में पढ़ने वाले इन छात्रों के लिए ना तो बेंच डेस्क की व्यवस्था है और ना ही कोई और सुविधा. स्कूल में बच्चों के लिए एक चारदीवारी भी नहीं है.
सामुदायिक केंद्र में पढ़ने को मजबूर नौनिहाल
इस स्कूल में बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है. क्योंकि ज्यादा धूप, बारिश और ठंड में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है. स्कूल में शिक्षक पर्याप्त हैं, लेकिन भवन ना होने के चलते बच्चों की ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती है. इतना ही नहीं स्कूल में बाउंड्री ना होने से असमाजिक तत्व छुट्टी के बाद स्कूल में आकर चोरी भी करते हैं और तोड़-फोड़ भी. कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. स्कूल के हालातों को देख ये सवाल उठता है कि क्या शिक्षा विभाग यहां की बदहाली से अंजान है? क्या अधिकारियों की स्कूल प्रबंधन की गुहार नहीं सुनाई देती? क्या विभाग को छात्रों की शिक्षा और उनके भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है. सवाल ये कि अगर ऐसे पढ़ेगा बिहार तो कैसे आगे बढ़ेगा बिहार. बिहार सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है.
रिपोर्ट : रंजन त्रिगुण
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Source : News State Bihar Jharkhand