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नीतीश मंत्रिमंडल से शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफा, जानिए शिक्षक घोटाला का पूरा मामला

बिहार में मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी के नाम पर  विवाद शुरू हो गया था जिसके चलते आज उन्हें इश्तिहा देना पड़ा.

Updated on: 19 Nov 2020, 05:10 PM

पटना:

बिहार में मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी के नाम पर  विवाद शुरू हो गया था जिसके चलते आज उन्हें इश्तिहा देना पड़ा. डॉ मेवालाल चौधरी तारापुर से विधायक हैं और उन्हें सीएम नीतीश के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्रालय का अहम् जिम्मा मिला हुआ था. लेकिन सबौर कृषि विश्वविद्यालय में सहायक अध्यापक सह जूनियर वैज्ञानिक की भर्ती के दौरान हुई धांधली में तत्कालीन कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी पर भी धांधली का आरोप लगा था. इस मामले में सबौर थाना में डॉ मेवालाल चौधरी पर प्राथमिकी भी दर्ज करवाया गया था.  अभी फिलहाल वो उच्च न्यायालय से अग्रीप जमानत पर हैं.

गवर्नर के आदेश से डॉ मेवालाल चौधरी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाया गया और भागलपुर से उनका जमानत खारिज हो गया था. वहीं पटना हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत उन्हें मिला हुआ है. विवादों में घिरे डॉ मेवालाल चौधरी के बहाने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट पर सीएम नीतीश को घेरा. उन्होंने कहा कि 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का इनाम एवं लूटने की खुली छूट प्रदान की है? जबकि इस मामले में कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने भी डॉ. मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाए जाने पर प्रश्न चिन्ह लगाया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मेवालाल जैसों को शिक्षा मंत्री बना कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने अपनी छवि को खुद ही धूमिल कर राजनीतिक प्रतिष्ठा को हल्का किया है.

डॉ मेवालाल चौधरी का शिक्षक से सदन तक का सफर

भागलपुर कृषि विवि के कुलपति रह चुके नवनिर्वाचित जदयू विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी को मुंगेर के तारापुर विधानसभा सीट से जीत मिली है. पहली बार उन्हें  कैबिनेट में भी शामिल किया गया है. राजनीति में आने से पहले  2015 तक डॉ मेवालाल चौधरी भागलपुर के सबौर में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. वहीं 2015 में सेवा निवृत होने के बाद उन्होंने राजनीति का रुख  किया है. चुनाव में सफल होने के पश्चात  डॉ मेवालाल पर नियुक्ति घोटाले का गंभीर आरोप लगा. यही नहीं इसमें 2017 में केस दर्ज किया गया था. फिलहाल इस मामले में विधायक को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है।

पत्नी नीता चौधरी के मौत की भी जांच करवाने की मांग

डॉ मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी के मौत की भी एक बार फिर से जांच कि मांग होने लगी है. सोशल मीडिया पर, पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास की कथित रूप से लिखी हुई चिट्ठी तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें उनके द्वारा  डीजीपी से  मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत मामले में भी उनसे पूछताछ की मांग की गई है. मेवालाल की पत्नी स्वर्गीय नीता चौधरी 2010 से 2015 तक तारापुर से विधायक रही थी. वह राजनीति में काफी सक्रिय थीं.  2019 में रसोई गैस सिलिंडर में आग लगने  से वह झुलस गई थी और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

सहायक अध्यापक की भर्ती में धांधली के बाद अब तक की कारवाई

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में हुए सहायक अध्यापक सह जूनियर वैज्ञानिक की बहाली में धांधली की जानकारी के बाद  एसआईटी ने  बीएयू के तत्कालीन प्रभारी पदाधिकारी डॉ. राज भवन वर्मा और सहायक निदेशक अमित कुमार को गिरफ्तार कर लिया था. नियुक्ति घोटाले में पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी को नामजद आरोपी बनाया गया. जांच में आरबी वर्मा और अमित कुमार का नाम पहले सामने आया. जानकारी के अनुसार  मेवालाल चौधरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर कोर्ट ने तत्काल रोक लगा दिया था. 16 मई को पटना के स्पेशल विजिलेंस कोर्ट-2 से दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ था. इसी कड़ी में देर रात केस के आईओ सह डीएसपी मुख्यालय रमेश कुमार के नेतृत्व में भागलपुर के सबौर में  ताबड़तोड़ छापेमारी की गई. इस दौरान  दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. मेवालाल चौधरी के खिलाफ 2017 के फरवरी में राजभवन के निर्देश पर ही सबौर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी. राजभवन के विशेष पहल पर पूरे मामले की जांच रिटायर्ड जस्टिस एसएमएम आलम से कराई गई. वहीं करीब 65 पन्नों की जांच रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में केस दर्ज कराया गया था. जस्टिस एसएमएम आलम ने जांच रिपोर्ट में  डॉ मेवालाल चौधरी पर नियुक्ति में भारी अनियमितता के लिए दोषी पाया.