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स्कूल है या गोदाम: बिहार में सरकारी स्कूलों की बदहाली पर चिंता, शिक्षा विभाग खामोश क्यों?

बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री पर एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि बिहार में सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब क्यों है? बच्चों से शिक्षकों तक को हो रहे परेशान.

बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री पर एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि बिहार में सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब क्यों है? बच्चों से शिक्षकों तक को हो रहे परेशान.

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Vineeta Kumari
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सरकारी स्कूल के बच्चे ( Photo Credit : Newsstate Bihar Jharkhand)

बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री आज भले ही अपने अलग-अलग बयानबाजियों से सुर्खियां बटोर रहे हैं, लेकिन बिहार के सुपौल जिले के स्कूलों की दशा और दिशा बदलने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ सरकार द्वारा छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और दूसरी ओर स्कूलों की दुर्दशा देखकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल आ रहे हैं. आखिर बिहार के शिक्षा मंत्री को सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का ख्याल क्यों नहीं है. क्या बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य महत्वपूर्ण नहीं है.

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सरकारी स्कूल के बच्चे खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर

आपको बता दें कि लोगों का कहना है कि जब सरकारी स्कूल में भवन ही नहीं है, जहां कक्षा 1 से 5 तक के बच्चे खुले आसमान के नीचे या झोपड़ीनुमा शेड में एक साथ पढ़ने को मजबूर हैं तो फिर ये किस तरह की तो यह कैसी सरकार है? इसी से अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि सरकार कैसा काम कर रही है. इतना ही नहीं एक ही साथ पांच वर्ग तक के बच्चे एक ही क्लास में पढ़ने को विवश हो तो फिर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की बात बेईमानी प्रतीत होता है. कुछ इसी तरह का हाल सुपौल के पिपरा प्रखंड के महेशपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय तेलयारी टोला जीवछपुर का है. खास बात ये है कि इस विद्यालय में 150 बच्चे नामांकित हैं और स्कूल में पदस्थापित चार शिक्षकों में दो शिक्षिका भी शामिल हैं.

एक टूटे घर में होती है पढ़ाई 

साथ ही बता दें कि स्कूल में चारदीवारी बन चुकी है, किचन शेड भी बन चुका है और अब शौचालय बन रहा है, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण चीज क्लास रूम है, वो बना ही नहीं है. फिलहाल किसी तरह बांस और चदरे के एक टूटे हुए घर में एक से पांच वर्ग तक की पढ़ाई हो रही है. विद्यालय के हेडमास्टर मो. शहनाज ने बताया कि कई बार विभाग को भवन के लिए कहा गया, लेकिन अभी तक इस दिशा में पहल नहीं हुई है. 

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शिक्षकों को होती है पढ़ाने में परेशानी

वहीं विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिकाओं का कहना है कि बारिश हो या धूप हर मौसम में किसी तरह पठन-पाठन का कार्य करना पड़ता है और सबसे बड़ी परेशानी शौचालय की होती है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इस माहौल में छात्रों को गुणवतापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी? आखिर क्या वजह है कि अब तक इस विद्यालय का भवन नहीं बन सका है और ये सबसे बडा सवाल है. बता दें कि इस बारे में जब विभागीय अधिकारी से पूछना चाहा तो उन्होंने फिलहाल कैमरे के सामने बोलने से परहेज किया है.

HIGHLIGHTS

  • बिहार में सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब क्यों?
  • स्कूलों की बदहाली के बाद भी खामोश हैं बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री
  • टूटे-फूटे घर में पढ़ने को मजबूर हैं सरकारी स्कूल के बच्चे 

Source : News State Bihar Jharkhand

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