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बिहार की राजनीति इस समय उस सरकारी आवास को लेकर विवादों में घिरी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पिछले दो दशकों से रह रही हैं. भवन निर्माण विभाग ने हाल ही में 10 सर्कुलर रोड स्थित इस सरकारी बंगले को खाली करने का नोटिस जारी किया, जिसके बाद राजनीतिक माहौल एक बार फिर गर्म हो गया. राजद (RJD) ने इस कदम को सीधे-सीधे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है.
RJD अध्यक्ष का तीखा हमला 'बंगला खाली नहीं करेंगे'
बुधवार को प्रेस से बात करते हुए RJD के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने नीतीश कुमार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि यह कार्रवाई कानून के तहत नहीं, बल्कि राजनीतिक दुर्भावना के कारण की जा रही है. उन्होंने स्पष्ट कहा, 'कुछ भी करना पड़े, बंगला खाली नहीं करेंगे.'
मंडल के मुताबिक, राबड़ी देवी को यह आवास 20 साल पहले आवंटित किया गया था और इतने वर्षों तक किसी भी सरकार ने इसे खाली कराने की पहल नहीं की. उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह आवास वाकई अनुचित तरीके से कब्ज़े में था, तो बीते दो दशकों में इसे क्यों नहीं उठाया गया?
लालू परिवार के प्रति नफरत से प्रेरित कार्रवाई: RJD
RJD प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि वर्तमान राज्य सरकार जानबूझकर लालू परिवार को निशाना बना रही है. उनका आरोप है कि सरकार का उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाना है और यह कदम केवल केंद्र की नाराज़गी दूर करने या विश्वास हासिल करने के लिए उठाया गया है.
मंडल का कहना है कि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के प्रति सरकार की नीतियों में “पूर्वाग्रह और शत्रुता” स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है.
दो-दो मुख्यमंत्री एक ही बंगले में रहे, तब कार्रवाई क्यों नहीं?
मंडल ने एक और बड़ा सवाल उठाया उन्होंने याद दिलाया कि पहले ऐसे भी अवसर रहे हैं जब दो पूर्व मुख्यमंत्री एक ही सरकारी आवास में रहते थे, तब कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा नोटिस केवल राजनीतिक अपमान का तरीका है, न कि कोई प्रशासनिक सुधार. उन्होंने यह भी दावा किया कि जिस वैकल्पिक आवास का हवाला दिया जा रहा है, उसका आवंटन पहले से तय था, लेकिन प्रक्रिया में “मनमानी और गड़बड़ी” की गई.
राजनीतिक टकराव जारी
राबड़ी देवी को आवास खाली कराने का यह मामला बिहार की राजनीति में नया मोड़ ले चुका है। RJD ने साफ संकेत दे दिया है कि वह इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगी, जबकि सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई नियमों के अनुरूप है. अब देखना यह होगा कि विवाद कानूनी मोड़ लेता है या राजनीतिक टकराव और तेज़ होता है.
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