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बिहार से पहले दिल्ली के 'दंगल' में दमखम दिखाएंगे सूबे के राजनीतिक दल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही बिहार के राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी में दमखम दिखाने की होड़-सी लग गई है.

Updated on: 11 Jan 2020, 10:51 AM

पटना:

देश की राजधानी दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है. दिल्ली में चुनाव के ऐलान के साथ ही बिहार के राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी में दमखम दिखाने की होड़-सी लग गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) ने पहले ही दिल्ली के चुनावी दंगल में उतरने की घोषणा कर दी है. अब लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) भी अपना वजूद टटोलने के लिए दिल्ली में सक्रिय हो गया है. बिहार के विभिन्न स्थानीय दलों ने राष्ट्रीय राजधानी के चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है. सभी की निगाहें दिल्ली में बसे पूर्वाचल के लोगों का वोट बटोरने पर है.

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जेडीयू नेतृत्व ने अभी यह तय नहीं किया है कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मगर उसने राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. पार्टी महासचिव के.सी. त्यागी के मुताबिक, आरजेडी की दिल्ली में करीब 30 से 35 सीटों पर लड़ने तैयारी है. दिल्ली में जेडीयू के समर्थक पहले से हैं और इस चुनाव की तैयारी पिछले कई महीनों से चल रही है. आरजेडी ने इस चुनाव का दायित्व बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा को सौंपा है. बता दें कि दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं. ऐसे में जेडीयू को उम्मीद है कि यहां से वो कुछ सीट हासिल कर सकती है.

झारखंड में बेहतर तालमेल के जरिए बीजेपी को सत्ता के बाहर करने पर उत्साहित आरजेडी को दिल्ली में भी गठबंधन की उम्मीद है. हालांकि पार्टी ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है. आरजेडी झारखंड की तर्ज पर यहां भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस की ओर से अभी साफ नहीं किया गया है कि वह आरजेडी को कितनी सीटें देगी. कहा जा रहा है कि दोनों दलों के बीच 11 जनवरी को बैठक होनी है, जिसके बाद ही आरजेडी अपने पत्ते खोलेगी.

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इधर, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) भी दिल्ली के दंगल में दमखम दिखाने की रणनीति बना रही है. वैसे तो जीतन राम मांझी की पार्टी को पहले बिहार और इसके बाद झारखंड में बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा, फिर भी मांझी ने हौसला नहीं छोड़ा है. लिहाजा वो अब मांझी दिल्ली विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार के ये राजनीतिक दल हजारों किलोमीटर दूर दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं को रुख अपनी ओर कर पाएंगे. वो भी जब तब दिल्ली में केजरीवाल के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी है. यहां भारतीय जनता पार्टी भी चुनावी चौसर पर मोहरे बिछाए बैठी और 10 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर रहने के बाद इस बार कुर्सी हासिल करने के सपने देख रही है. इतना ही नहीं, कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी यहां एक बार फिर दांव पर है, क्योंकि पिछले चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी दिल्ली में एक सीट भी नहीं बचा पाई थी.

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गौरतलब है कि दिल्ली के बाद इसी साल के आखिरी में बिहार में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं. सूबे के चुनाव को ध्यान में रखकर बिहार के कुछ राजनीतिक दल दिल्ली में चुनाव लड़कर पूर्वांचल के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में है, जिसका लाभ उन्हें अपने राज्य में मिल सके. इस बार बिहार के चुनाव में जेडीयू के बीजेपी के साथ रहने की संभावना है. उधर, बीजेपी और जेडीयू को मात देने के लिए आरजेडी अन्य दलों को मिलाकर गठबंधन के जरिए रणनीति बनाने की जुगत में लगी है.