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चार साल की उम्र से दीपक करते आ रहे हैं छठ, आस्था की नहीं होती कोई उम्र

पूरे देश में चार दिन के छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. शुक्रवार को 28 अक्टूबर से नहाए खाए के साथ छठ महापर्व शुरू हुआ.

Updated on: 29 Oct 2022, 02:52 PM

Aara:

पूरे देश में चार दिन के छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. शुक्रवार को 28 अक्टूबर से नहाए खाए के साथ छठ महापर्व शुरू हुआ. ऐसे में भोजपुर जिले के कोइलवर थाना क्षेत्र के बिंदगावां, नया टोला गांव के निवासी राम लखन सिंह के 18 वर्षीय द्वितीय पुत्र आदित्य उर्फ दीपक भी छठ करेंगे. लोकास्था के इस महापर्व को आदित्य जब चार साल के थे, तभी से कर रहे हैं. महज चार साल की छोटे उम्र में अपने जन्मदिन के अवसर पर आदित्य ने बिना किसी के कहने पर खुद से ही छठ अनुष्ठान करना शुरू कर दिया था. अब आदित्य की उम्र करीब 18 साल हो गई है फिर भी आदित्य उर्फ दीपक ने साबित किया है कि आस्था की कोई उम्र नहीं होती है. अगर मन में आस्था के प्रतीक ख्याल आता है तो उम्र मायने नहीं रखती है.

आदित्य के पिता राम लखन सिंह ने बताया कि जब आदित्य उर्फ दीपक ने घर में छठ पर्व होते देखा तो सभी घर के सदस्यों से कहने लगा कि मुझे भी छठ करना है, तो मैं हैरान हो गया. वह महज चार साल का था, मैंने उसे छोटी सी उम्र में छठ करने से मना कर दिया था, लेकिन उसकी जिद की वजह से छठ करने दिया गया. आदित्य की मां सत्यभामा देवी ने बताया कि दीपक बिना किसी के कहने पर या बिना किसी दबाव के छठ करना शुरू कर दिया था और वो लगातार छठ करता आ रहा है, लेकिन बीच में कई बार परिवार में सदस्य के देहांत होने की वजह से उसका छठ करना छूट गया था. इस वर्ष वो छठ कर रहा है, सभी उसकी आस्था देख हैरान हो गए थे.

इतने महान अनुष्ठान को जब एक छोटा बच्चा कर सकता है तो उससे हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए कि इस महापर्व को सभी लोग करें. महज 4 साल के आदित्य को जब मां ने कहा कि मुंह धोकर कुछ खा लो, उसी पर उसने कहा मैं छठ में हूं, मुझे दातुन दो. उसके बाद उसके बड़े पापा कमाख्या नारायण सिंह व बड़ी मा प्रभावती देवी समेत परिवार के सभी सदस्यों ने उसे व्रत नहीं रहने के लिए समझाया पर वह नहीं माना. हमलोगों ने सोचा करने दिया जाए व्रत, हो सकता है आदित्य में भगवान भास्कर विधमान हो गए हो, इसे रोकना नहीं चाहिए. उसके बाद से ही आदित्य पूरे अनुष्ठान के साथ छठ व्रत करते आ रहे हैं.

आदित्य ने बताया कि जब पहली बार हमने छठ किया था, उस वक्त काफी छोटा था. पूरी घटना नहीं बता सकता लेकिन इतना याद है कि हमारा जन्मदिन था, उसी दिन पहला अर्घ्य था. हमारे घर में मां, पापा, चाचा, चाची सभी छठ व्रत कर रहे है थे. तभी हमारे मन में आया छठी मईया की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. बड़े यह अनुष्ठान कर सकते हैं तो बच्चे क्यों नहीं. हमने मां से कहा मैं छठ व्रत में हूं, आज कुछ भी नहीं खाऊंगा और ना ही पानी पियूंगा. उन्होंने कहा कि आस्था की कोई उम्र नहीं होती. इस व्रत को करने से परिवारिक शान्ति मिलता है. सुख समृद्धि बनी रहती है. उन्होंने बताया कोई भी काम जब बच्चे ठान लेते हैं, उसे पूरा करते हैं, यह तो भगवान का अनुष्ठान है.