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आर पार की लड़ाई के मूड में CTET-BTET अभ्यर्थी, बोले-सरकार से उठ गया भरोसा

बिहार में सातवें चरण की नियुक्ति को लेकर अभ्यर्थी CTET और BTET के अभ्यर्थी पिछले साढ़े 3 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं.

Updated on: 14 Dec 2022, 03:04 PM

highlights

  • पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदर्शन
  • 7वें चरण की बहाली प्रक्रिया पूरा करने की मांग
  • पुलिस ने किया लाठीचार्ज

Patna:

बिहार में सातवें चरण की नियुक्ति को लेकर अभ्यर्थी CTET और BTET के अभ्यर्थी पिछले साढ़े 3 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं. छठे चरण की नियुक्ति के लिए सरकार ने 1 लाख 22 हजार पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी, लेकिन मात्र 43000 शिक्षकों की नियुक्ति हो सकी, 79 हजार पद खाली रह गए. इसमें प्राथमिक विद्यालय मध्य विद्यालय उच्च विद्यालय और प्लस टू के विद्यालय के शिक्षकों के पद शामिल हैं. CTET और BTET के उत्तीर्ण अभ्यर्थी 2019 से अपनी नियुक्ति को लेकर समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं. 

अभ्यर्थियों का कहना है कि 2019 से शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षा मंत्री के द्वारा उन लोगों को जल्द नियुक्त करने का आश्वासन मिलता रहा है, लेकिन 3 वर्षों से यह लोग सड़क पर भटक रहे हैं. महागठबंधन की सरकार बनने से पहले एनडीए सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके विजय कुमार चौधरी ने इन लोगों को आश्वासन दिया था कि सितंबर महीने में इन लोगों को नियुक्ति पत्र मिल जाएगा, लेकिन अगस्त महीने में ही बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम बदली. 

नीतीश कुमार की अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बनी और शिक्षा विभाग राजद के कोटि में चला गया. महागठबंधन सरकार में प्रोफेसर चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री बनाया गया. महागठबंधन की सरकार बनते ही 15 अगस्त को पटना के गांधी मैदान से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आराम किया था कि 10 लाख लोगों को रोजगार एवं 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी. मुख्यमंत्री के इस घोषणा के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों की उम्मीद जगी. शिक्षक अभ्यर्थी सरकार के सामने अपनी मांग रखने के लिए 22 अगस्त को पटना के डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस की लाठी चार्ज में दर्जनों व्यक्ति घायल हुए. 13 दिसंबर को भी शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रदर्शन पर लाठीचार्ज किया गया. इस लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हुए. 

सरकार की तरफ से इन लोगों को फिर आश्वासन मिला कि जल्दी इन लोगों की नियुक्ति हो जाएगी. शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके विकास कुमार का कहना है कि सरकार की तरफ से सिर्फ इन लोगों को ठगा गया है. पिछले 3 महीनों में नियुक्ति पत्र के बदले उन लोगों को पुलिस की पिटाई मिली है. वहीं, कन्हैया कुमार का कहना है बिहार सरकार निरंकुश हो गई है. यदि सरकार की नजर में हम लोग अपराधी है तो डाकबंगला चौराहा पर उन लोगों को गोली मरवा दे. अभ्यर्थी सुमित का कहना है वे लोग बिहार के बच्चे हैं, लेकिन सरकार उन लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. इसमें क्या करना है जब तक इन लोगों को नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता है तब तक वह लोग चैन से नहीं बैठेंगे. CTET पास आकांक्षा सिंह कहती है कि सरकार उन लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है. यही कारण है कि शिक्षा मंत्री से मिलने के बजाय इन लोगों को पुलिस से पिटवाया जा रहा है. 

इन अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्‍य सचिव दीपक कुमार सिंह ने आश्वासन दिया था कि बिहार में सातवें चरण के तहत प्रारंभिक एवं माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के दो लाख पदों पर नियुक्ति नवंबर में प्रारंभ होगी. पहले माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति होगी. नये सत्र से पहले 31 मार्च तक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देकर योगदान करा लिया जाएगा. अप्रैल में प्रारंभिक शिक्षकों के पदों पर नियोजन आरंभ होगा. अगस्त तक चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति होगी, लेकिन विभाग के सबसे बड़े अधिकारी के लिखित आश्वासन पर भी कुछ नहीं हो सका. अब यह अभ्यर्थी आर पार की लड़ाई के मूड में है. इन अभ्यर्थियों का साफ कहना है कि सरकार से उन लोगों का भरोसा उठ गया है. जब तक उन लोगों को नियुक्ति पत्र नहीं मिलती तब तक उन लोगों का आंदोलन चलता रहेगा. नहीं तो इसका खामियाजा सत्ताधारी दल को आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा.

रिपोर्ट : आदित्या झा

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