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चंपारण में 54 सरकारी शिक्षकों की मौत, कोई वेतन नहीं, कोई मदद नहीं

राज्य के शिक्षा विभाग ने राज्यव्यापी मौतों के आंकड़े जमा करने के लिए एक अभियान शुरू किया है.

Updated on: 09 Jun 2021, 12:33 PM

highlights

  • समय पर वेतन से बच सकती थी कई जानें
  • पैसे नहीं होने से नहीं करा सके उपचार
  • अनुग्रह राशि का भी अता-पता नहीं

मोतिहारी:

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज के दौरान सरकारी स्कूल के शिक्षक दीपक आनंद की मौत होने के बाद उनकी पत्नी नेहा ( 30 साल) विधवा हो गईं. वो कहती हैं, 'अब मेरी जिंदगी में कोई खुशी नहीं बची है.' उनकी शादी को अभी दो साल भी नहीं हुए हैं और वह अपने पीछे एक साल का बच्चा छोड़ गए हैं' दीपक आनंद अप्रैल में दूसरी लहर की शुरूआत के बाद से पूर्वी और पश्चिम चंपारण जिलों में वायरस के कारण जान गंवाने वाले 54 सरकारी शिक्षकों में शामिल हैं. राज्य के शिक्षा विभाग ने राज्यव्यापी मौतों के आंकड़े जमा करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पहचान जाहिर करने से इनकार करते हुए कहा, 'अन्य जिलों से डेटा का संकलन किया जा रहा है. यह अभी भी एक प्रारंभिक स्तर पर है.'

समय पर वेतन से बच सकती थी कई जानें
पूर्वी चंपारण के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) अवधेश कुमार सिंह ने बताया, 'अकेले अप्रैल और मई 2021 में हमारे 29 शिक्षकों की मौत हो गई.' डीईओ बिनोद कुमार विमल के अनुसार, पश्चिम चंपारण में 25 मौतें हुई हैं. स्कूलों के फिर से खुलने पर जिले अब अपने बुनियादी शिक्षा कर्मचारियों के भारी नुकसान का आकलन हो रहा है. जहां ऑनलाइन कक्षाएं अनियमित तरीके से चल रही थीं, वहीं शिक्षकों को वेतन में देरी या बढ़ते खर्च के कारण वित्त के साथ संघर्ष करना पड़ रहा था. नतीजतन, वे अक्सर इलाज के लिए भुगतान करने में असमर्थ थे. पूर्वी चंपारण में एक शिक्षक संघ, बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ (बीपीएनपीएसएस) का मानना है कि समय पर वेतन मिलने से कुछ मौतों को रोका जा सकता था. वेतन में देरी सामान्य समस्या है और नियमित और संविदा शिक्षकों दोनों के लिए दो महीने की देरी काफी सामान्य है.

पैसे नहीं होने से नहीं करा सके उपचार
एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरदीप कुमार ने 101रिपोटर्स को बताया, 'उनमें से ज्यादातर संविदा शिक्षक हैं जिनकी वित्तीय संकट के कारण मौत हो गई. वे चार महीने के लिए अपने वेतन से वंचित थे और इसलिए वो इलाज के लिए बेहतर चिकित्सा सेवाएं नहीं चुन सके. आवंटन के अनुसार, नवंबर, दिसंबर (2020) और जनवरी (2021) के लिए वेतन का भुगतान किया गया था और बाद के वेतन का लगभग 80 प्रतिशत प्राप्त हुआ था. शिक्षक फरवरी और मई 2021 के बीच बिना भुगतान के थे.' संकट के बीच फंसे पूर्वी चंपारण में शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी (स्थापना) प्रफुल्ल कुमार मिश्रा ने वेतन में देरी की पुष्टि की. उन्होंने कहा, 'आवंटन आते ही हम भुगतान की प्रक्रिया करते हैं. मई के अंत तक लंबित वेतन का भुगतान कर दिया गया है.'

मुआवजे और नौकरी की मांग
शिक्षकों ने पुष्टि की है कि उन्हें अब अपना वेतन मिल गया है लेकिन कई परिवारों के लिए बहुत देर हो चुकी है. पश्चिम चंपारण के एक सरकारी शिक्षक रमेश साह के बारे में 42 वर्षीय सविता कुमारी ने कहा, 'पैसे की कमी के कारण, मेरे पति ने डॉक्टर के पास जाने से इंकार कर दिया और केमिस्ट द्वारा निर्धारित दवाएं लेना पसंद किया.' वह कहती हैं कि लेकिन उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें 1 मई को जीएमसीएच में भर्ती कराना पड़ा. अगले दिन उनका परीक्षण होने से पहले ही उनका निधन हो गया. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी प्रेमचंद ने कहा, 'कोविड-19 के कारण मौतों की संख्या ज्यादा है. हम सभी जिलों से एक सूची तैयार कर रहे हैं. हर मृतक के आश्रितों के लिए तत्काल मुआवजे और नौकरी की मांग की गई है.'

अनुग्रह राशि का भी अता-पता नहीं
राज्य के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कुमार ने मई में घोषणा की थी कि कोविड -19 के कारण मरने वाले सभी शिक्षकों के आश्रित 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का दावा करने के हकदार हैं हालांकि, यह पूछे जाने पर कि अब तक कितने लोगों को राशि मिली है, जिला अधिकारियों ने चुप्पी साधे रखी. बीएनपीएसएस के अध्यक्ष कुमार ने कहा कि पूर्वी चंपारण के परिवार अभी भी सरकारी कार्यालयों के दरवाजे खटखटा रहे हैं जिससे वादा किया गया कि अनुग्रह राशि और अनुकंपा नियुक्ति का दावा किया जा सके. उन्होंने कहा, 'कागजी कार्य घोंघे की गति से आगे बढ़ रहा है.'