कैमूर में महादलित बस्ती की हालत खस्ताहाल, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही योजनाएं

बिहार में दलितों के हक की बात सिर्फ चुनावों में होती है. उनके विकास पर चर्चाएं सिर्फ कार्यालयों में होती है. उनके जीवन स्तर को सुधारने की कोशिश भी सिर्फ कागजों में होती है.

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Jatin Madan
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जनप्रतिनिधि लगा रहे सरकारी पैसों की चपत.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

बिहार में दलितों के हक की बात सिर्फ चुनावों में होती है. उनके विकास पर चर्चाएं सिर्फ कार्यालयों में होती है. उनके जीवन स्तर को सुधारने की कोशिश भी सिर्फ कागजों में होती है. कैमूर में महादलित बस्ती की हालत बेहद खस्ताहाल है. पहले ही ये बस्ती विकास से दूर से है, ऊपर से अगर सरकार कोई योजना बनाती भी है तो वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है. महादलित बस्ती में घटिया क्वालिटी का डस्टबिन बांटा गया. जिसे ग्रामीणों ने वापस कर दिया. 

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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही सरकारी योजना

दरअसल बिहार सरकार ने ग्राम पंचायतों को स्वच्छ और सुंदर बनाने को लेकर राशि आवंटित की. जिसके तहत ग्राम पंचायतों में हर घर में डस्टबिन बांटा जाना था, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सरकार की ये योजना धरातल पर आते आते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. जहां भभुआ प्रखंड के मोकरी पंचायत के महादलित टोला में मुखिया ने घटिया क्वालिटी का डस्टबिन बांट दिया. डस्टबिन की क्वालिटी इतनी खराब है कि हल्का दबाने पर ही टूट जाता है. गुस्साए ग्रामीणों ने डस्टबिन लेने से इनकार कर दिया.

जनप्रतिनिधि लगा रहे सरकारी पैसों की चपत

एक तो मुखिया ने सरकारी पैसों की चपत लगा दी उल्टा जब ग्रामीण उससे इसकी शिकायत करने पहुंचे को उसने ग्रामीणों के साथ गाली गलौज भी की. परेशान ग्रामीणों ने मोकरी पंचायत के वार्ड सदस्यों के साथ इसकी लिखित शिकायत और डस्टबिन ले जाकर कैमूर जिलाधिकारी के जनता दरबार में भी दिखाया. एक तरफ ग्रामीण जिलाअधिकारी से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी को तो ये बड़ा मसला लगता भी नहीं है. उनके हिसाब से अगर क्वालिटी थोड़ी खराब भी है तो कोई बात नहीं, महंगाई जो बढ़ गई है.

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अधिकारी की उदासीनता बनी मुसीबत

अधिकारी साहब अलग ही राग अलाप रहे हैं. अब अगर अधिकारी ही जांच के बजाय इस तरह के बयान देने लगे तो ग्रामीणों की मांगों पर सुनवाई कितनी होती होगी इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. इसी तरीके के लापरवाह और उदासीन रवैये के चलते भ्रष्टाचारी अपनी पैंठ जमाने में कामयाब हो जाते हैं. जरूरत है कि अधिकारी इस तरह के मुद्दों को गंभीरता से ले ताकि सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके.

रिपोर्ट : रंजन त्रिगुण

HIGHLIGHTS

  • महादलित बस्ती की हालत खस्ताहाल
  • भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही सरकारी योजना
  • जनप्रतिनिधि लगा रहे सरकारी पैसों की चपत
  • अधिकारी की उदासीनता बनी मुसीबत

Source : News State Bihar Jharkhand

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