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सीएम नीतीश कुमार का स्वागत करते जेडीयू के नेता व कार्यकर्ता( Photo Credit : न्यूज स्टेट बिहार झारखंड)
विपक्षी एकता की मुहिम को एक बार फिर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करके हवा दे दी है. गुरुवार को वह तीन दिनों तक दिल्ली में रहने के बाद वापस बिहार लौट आए हैं. राजधानी पटना पहुंचने पर सीएम नीतीश कुमार का स्वागत जेडीयू के कार्यकर्ताओं द्वारा उनपर फूलों की वर्षा करके और मालाएं पहनाकर की गई. इस दौरान जेडीयू कार्यकर्ताओं द्वारा 'देश का पीएम कैसा हो..
नीतीश कुमार जैसा हो' के नारे लगे लेकिन अब बड़ा सवाल ये उठता है कि एक तरफ नीतीश कुमार खुद को पीएम मैटेरियल नहीं मानते तो इन सबका क्या मतलब रह जाता है? और अगर इन सबका मतलब है तो सीएम नीतीश कुमार अपनी ही इच्छा को क्यों दबाकर बैठे हैं, क्यों सार्वजनिक तौर पर अपनी बात नहीं रखते? कई मौकों पर सीएम नीतीश ये कहते हुए सुने गए हैं कि वो पीएम मैटेरियल नहीं हैं. वहीं, हाल ही में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने तो विधानसभा में कह दिया था कि ना तो इनको (नीतीश को) पीएम बनना है और ना ही मुझे सीएम बनना है. तो ऐसे में गर्मजोशी से स्वागात, राहुल-केजरीवाल से मुलाकात, 'देश का पीएम कैसा हो.. नीतीश कुमार जैसा हो' जैसे नारों का क्या मतलब रह जाता है.
तीन दिनों के बाद दिल्ली दौरे से लौटे सीएम नीतीश
बता दें कि सीएम नीतीश कुमार गुरुवार को तीन दिन के बाद दिल्ली दौरे से लौटे हैं. आज यानि बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के मौके पर जेडीयू कार्यालय में समारोह का आयोजन किया गया. जब कार्यक्रम में शामिल होने नीतीश कुमार जेडीयू कार्यालय पहुंचे तो वहां पहले से मौजूद बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा नीतीश कुमार पर गुलाब के फूलों की बरसात की गई और पूरी गर्मजोशी के साथ नारा लगाया कि “देश का पीएम कैसा हो.. नीतीश कुमार जैसा हो”.
कई विपक्ष के नेताओं से नीतीश ने की मुलाकात
तीन दिवसीय दिल्ली प्रवास के दौरान सीएम नीतीश ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, भाकपा महासचिव डी राजा, सीताराम येचुरी से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया.
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नीतीश का पहले भी जाग चुका है पीएम प्रत्याशी प्रेम
वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सीएम नीतीश के मन में पीएम उम्मीदवारी को लेकर लड्डू फूटा हो. 2014 लोकसभा चुनाव के लिए जब नरेंद्र मोदी को बीजेपी प्रचार समिति का गोवा में कार्यक्रम का आयोजन कर अध्यक्ष बनाया गया था तब भी सीएम नीतीश कुमार का पीएम प्रत्याशी बनने का प्रेम उमड़ पड़ा था. नीतीश कुमार और तत्कालीन जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव द्वारा बार-बार ये मांग की गई थी कि जल्द से जल्द बीजेपी पीएम पद के प्रत्याशी के नाम की घोषणा करे. जब पोस्टर फटा तो नरेंद्र मोदी हीरो बनकर सामने आए और जैसे ही नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा पीएम प्रत्याशी के तौर पर बीजेपी द्वारा की गई वैसे ही दूसरी तरफ जेडीयू के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन के टूटने का एलान किया था और 17 वर्षों का बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूट गया था.
नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली हालांकि, बाद में फिर से बीजेपी के साथ यानि एनडीए में चले गए. अब एक बार फिर से आरजेडी के साथ गठबंधन की सरकार चला रहे हैं. उस बार भी नीतीश कुमार का पीएम प्रत्याशी बनने का सपना चकनाचूर हुआ था.
विपक्षी एकजुटता के प्रयासों में कितना दम
बात अगर विपक्षी एकजुटता के प्रयासों की करें तो विपक्ष को और इसके लिए प्रयास कर रहे नेताओं को कोई विशेष सफलता अबतक हासिल होती नहीं दिख रही है. क्योंकि सीएम नीतीश कुमार के अलावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं एनसीपी चीफ शरद पवार, प्रशांत किशोर जैसे तमाम नेता विपक्षी एकजुटता का प्रयास कर चुके हैं और अभी भी कर रहे हैं. ऐसे में अब ये देखना दिलचश्प होगा कि विपक्षी एकजुटता क्या रंग 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दिखाती है.
Source : Shailendra Kumar Shukla