CM नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट भरभराकर गिरा, 2011 में रखी गई थी नींव

एक बार फिर से समस्तीपुर में भरभराकर पुल गिरने का मामला सामने आया है. यह महासेतु पुल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. 2011 में पुल की नींव रखी गई थी.

एक बार फिर से समस्तीपुर में भरभराकर पुल गिरने का मामला सामने आया है. यह महासेतु पुल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. 2011 में पुल की नींव रखी गई थी.

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Vineeta Kumari
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CM नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट भरभराकर गिरा

बिहार से लगातार पुल गिरने का मामला सामने आ रहा है. सरकार की तमाम कोशिशें और टीमें गठित करने के बाद भी पुल गिरने का मामला थम नहीं रहा है. अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसे लेकर विपक्ष लगातार राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था और पुल गिरने के मामले को लेकर जुबानी हमला बोल रहा है.

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समस्तीपुर में भरभराकर गिरा पुल

इस बीच एक बार फिर से समस्तीपुर में भरभराकर पुल गिर गया है. बख्तियारपुर-ताजपुर सिक्स लेन के निर्माणाधीन गंगा महासेतु के संपर्क पथ पर यह पुल गिरा है. इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया. यह घटना नंदनी लगुनिया रेलवे स्टेशन के पास घटी. 

पुल गिरने की घटना को छिपाने की कोशिश

बता दें कि समस्तीपुर के नंदनी रेलवे स्टेशन के पास बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु का काम चल रहा था. इस बीच रविवार की देर शाम पुल के दो पिलर के बीच स्पैन रखा जा रहा था और इस दौरान अचानक से स्पैन नीचे गिर गया. हालांकि इस घटना में किसी प्रकार की कोई हताहत होने की खबर सामने नहीं आई है.

पुल के मलबे को मिट्टी में दबाया गया

जैसे ही यह घटना घटी, तुरंत घटनास्थल पर जेसीबी बुलाया गया. रातभर में जेसीबी ने पुल के मलबे को मिट्टी में दबा दिया. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों की मानें तो निर्माण कार्य में हो रही लापरवाही को छिपाने के लिए प्रशासन ने आनन-फानन में पुल के मलबे को मिट्टी में दबा दिया. 

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सीएम नीतीश का महासेतु निर्माण है ड्रीम प्रोजेक्ट

आपको बता दें कि इस महासेतु का निर्माण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसका निर्माण कार्य बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु का निर्माण कार्य 2011 से ही चल रहा है. 2011 में पुल की नींव रखी गई थी. हालांकि इसका निर्माण कार्य 2016 में ही पूरा होना था, लेकिन पैसों की वजह से काम पूरा नहीं हो सका.

2011 में रखी गई थी पुल की नींव

पुल के निर्माण कार्य के लिए 1603 करोड़ रुपये खर्च किया जाना था, लेकिन 1000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी पुल का सिर्फ 60 फीसदी ही निर्माण कार्य हो सका.  जिसकी वजह से पुल के निर्माण कार्य में देरी हो गई. सरकार ने दोबारा से पुल के निर्माण के लिए पैसे आवंटित किए हैं. 

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