राष्ट्रपति मुर्मू के शपथग्रहण समारोह से CM नीतीश की दूरी के क्या है मायनें!

आज देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पंद्रहवां राष्ट्रपति मिल गया है. अमूनन जैता होता है वैसा ही आज द्रौपदी मुर्मू को भारत के प्रधान न्यायधीश एन.वी. रमना ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई.

आज देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पंद्रहवां राष्ट्रपति मिल गया है. अमूनन जैता होता है वैसा ही आज द्रौपदी मुर्मू को भारत के प्रधान न्यायधीश एन.वी. रमना ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई.

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Harsh Agrawal
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राष्ट्रपति मुर्मू के शपथग्रहण समारोह से CM नीतीश की दूरी के मायने( Photo Credit : फाइल फोटो )

आज देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पंद्रहवां राष्ट्रपति मिल गया है. अमूनन जैता होता है वैसा ही आज द्रौपदी मुर्मू को भारत के प्रधान न्यायधीश एन.वी. रमना ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. इस मौके पर लगभग एनडीए (NDA) के सभी मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद व तमाम शीर्ष नेता मौजूद रहे लेकिन अगर कुछ खटका तो बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू के 'मालिक' और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की गैर मौजूदगी.

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यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इस समय बिहार के सीएम नीतीश कुमार 'दो नांव' पर यात्रा कर रहे हैं. एक तरफ वह बीजेपी को कोई भाव नहीं दे रहे हैं तो दूसरी तरफ आरजेडी पर खुद कोई कटाक्ष नहीं कर रहे हैं. शायद नीतिश कुमार को अच्छी तरह पता है जब उनकी नांव डूबेगी तो उसे सिर्फ आरजेडी ही पार लगा सकती है और ऐसा 2017 में पहले भी हो चुका है. आरेजेडी भी समय-समय पर किसी न किसी बहाने नीतीश कुमार को इस बात का एहसास करा ही देती है कि वह उनके साथ है.

आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल ना होकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर से सियासी गलियारों में गर्माहट ला दी है. सियासी जानकार इसके कई मायने निकाल रहे हैं. पहला तो यह कि नीतीश कुमार पूरी तरह से एनडीए के प्रति समर्पित नहीं हैं और दूसरा यह कि एनडीए के कार्यक्रम को नीतीश कुमार तरजीह नहीं देते यानि उन्हें जो सही लगता है वह वही करते हैं. राष्ट्रपति मुर्मू के शपथग्रहण समारोह में सीएम नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी के पीछे ये हवाला दिया गया है कि वह पटना में एक मीटिंग में शिरकत करने वाले थे और इसलिए ही वह राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में नहीं शामिल हुए.

पांच साल में एक बार देश को नया राष्ट्रपति मिलता है. ऐसे में पटना में होने वाली मीटिंग को सीएम नीतीश कुमार टाल सकते थे, उस मीटिंग को बाद में भी रखी जा सकती थी लेकिन नीतीश कुमार ने मीटिंग को राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने से ज्यादा तवज्जो दिया. मीटिंग भी कोई ऐसी नहीं थी कि बिहार पर कोई राजनीतिक संकट आया रहा हो, प्राकृतिक संकट या दैवी रही हो कि मीटिंग करना अनिवार्य था, बावजूद इसके एक छोटी सी मीटिंग के लिए राष्ट्रपति के शपथ-ग्रहण समारोह में सीएम नीतीश कुमार का शिरकत ना करना इस तरफ इशारा कर रहा है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सीएम नीतीश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण समारोह में शिरकत न करने को लेकर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा,"मैं तो बार-बार कहता हूं ये बेमेल शादी है. कहावत है न... बेमेल शादी कपारे पर सिंदूर.... किस बात का मेल है. यदि उनके साथ नीतीश मिल गए हों, सारे सिद्धांतों के साथ, तो समाजवाद से अलग जा चुके हैं. तब कुर्सी की लड़ाई है इनकी"

वहीं, आरजेडी (RJD) के प्रवक्ता प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी हमला किया था. उन्होंने कहा था कि लगातार बीजेपी के नेता गृह विभाग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर नजर आते हैं. ऐसे में सब कुछ सामने दिखता है और जो कुछ दिख रहा है उससे सब स्थिति स्पष्ट है. कारण क्या है ये तो जदयू के लोग ही बताएंगे लेकिन राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में नीतीश कुमार का भाग नहीं लेना एक सवाल जरूर है जिसे विपक्ष जानना चाहता है. आखिर एनडीए के बड़े नेता कहे जानेवाले मुख्यमंत्री नीतीश इस समारोह से दूर क्यों रहे. 

हालांकि जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इस पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का शपथग्रहण मात्र एक औपचारिकता है और उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए यह कोई चर्चा का विषय नहीं है. मुख्यमंत्री के पास और भी अनेक काम होते हैं. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने आरजेडी पर हमला किया है. बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह ने कहा, 'तेजस्वी यादव को जनता ने विपक्ष में बैठने का वोट दिया है. आरजेडी दिवास्वप्न देख रही है लेकिन दिवास्वप्न कभी पूरा होता नहीं है. आरजेडी नेताओं के बयान से उनकी ही जग हंसाई हो रही है. बिहार में एनडीए सरकार विकास के कार्य में लगी है.

वहीं, दूसरी तरफ 30 जुलाई को दो दिवसीय दौरे पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार पहुंच रहे हैं. लगभग 12 वर्ष बाद बीजेपी इतना बड़ा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करने जा रही है. दो दिवसीय तक चलने वाले बीजेपी की बैठक में देशभर से बीजेपी के प्रमुख इकाइयों के अध्यक्ष व पदाधिकारी आएंगे. लगभग 750 बीजेपी के पदाधिकारियों के मीटिंग में शामिल होने की खबर है. बीजेपी कहीं न कहीं यह बताने का प्रयास कर रही है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ सकती है. 

Source : News Nation Bureau

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