बिहार में 40 लाख की लागत से बना क्लॉक टावर, देख लोगों ने लिए जमकर मजे

Bihar Sharif Clock Tower: सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक क्लॉक टावर चर्चा का विषय बन गया है. इस टावर को देखने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे कि 40 लाख खर्च करके ऐसा नमूना बनाया गया है.

Bihar Sharif Clock Tower: सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक क्लॉक टावर चर्चा का विषय बन गया है. इस टावर को देखने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे कि 40 लाख खर्च करके ऐसा नमूना बनाया गया है.

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Ravi Prashant
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Bihar Sharif Clock Tower

वायरल बिहारशरीफ क्लॉक टावर Photograph: (X)

Bihar Sharif Clock Tower: सोशल मीडिया पर एक क्लॉक टावर की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. यह क्लॉक टावर बिहार के बिहारशरीफ का है. यह टावर बनते ही विवादों में घिर गया है. बता दें कि क्लॉक टावर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘प्रगति यात्रा’ के दौरान हड़बड़ी में शुरू किया गया था. लेकिन अगले ही दिन यह बंद हो गया. बताया जा रहा है कि टावर के अंदर लगे तांबे के तार चोरी हो गए, जिसके कारण ये घड़ी भी बंद हो गई है. 

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40 लाख रुपये लगाकर बना ऐसा नमूना? 

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर क्लॉक टावर विवादों में क्यों घिरा है? जानकारी के मुताबिक, इस साधारण क्लॉक टावर को बनाने में 40 लाख रुपए खर्च हुए हैं और इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी ऐसा टावर बनाया गया है जो न तो देखने में शानदार है और न ही इसमें लगी घड़ी काम कर रही है. 

देखते ही भड़क गए यूजर्स

इस क्लॉक टावर की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल हुईं, लोगों ने जमकर अपनी नाराजगी जताई. यूज़र्स का कहना है कि यह टावर न केवल बेकार दिखता है, बल्कि इसमें कोई कलात्मकता या सौंदर्य नहीं है. ऊपर से 40 लाख रुपये की लागत भी लोगों को हजम नहीं हो रही.

यूजर्स ने जमकर किया ट्रोल

सबसे बड़ी शर्मिंदगी की बात यह रही कि जिस घड़ी को इलाके की शान बनना था, वह उद्घाटन के एक दिन बाद ही बंद हो गई और समय दिखाना बंद कर दिया. वायरल हो रही तस्वीरों में घड़ी का समय दिन में दो बार 4:20 बजे ही दिख रहा था.
इस पर सोशल मीडिया यूज़र्स ने जमकर व्यंग्य कसे. किसी ने इसे “इंजीनियरिंग का चमत्कार” कहा, तो किसी ने “21वीं सदी की महान रचना” तक करार दे दिया. एक यूजर ने लिखा, “घड़ी नहीं, बिहार की व्यवस्था का आइना है.”

आए दिन ऐसी आती हैं घटनाएं

नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा इस पूरी घटना के बाद लोगों के निशाने पर आ गए हैं. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब यह परियोजना इतनी महंगी थी, तो इसकी सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी क्यों नहीं की गई? जैसे कि आप जानते हैं कि बिहार में अक्सर सरकारी योजनाएं समय से पहले या बिना पूरी तैयारी के शुरू की जाती हैं और इस घड़ी टावर ने उसी प्रवृत्ति को उजागर किया है. अब यह टावर न केवल समय बताने में असफल रहा है, बल्कि यह सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का बेहतरीन उदाहरण है. 

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