चिराग गलत सलाहकारों से घिरे थे, पार्टी में रह कर काम करें : सूरजभान सिंह
News Nation से खास बातचीत करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजभान सिंह ने कहा कि चिराग पासवान गलत सलाहकारों से घिर गए थे.
पटना :
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में बिखराव के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बुधवार को मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा. चिराग पासवान ने कहा कि पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, इसलिए वह लोगों से रूबरू नहीं हो पाए. लेकिन उनकी बीमारी की आड़ में सारा प्रपंच रचा गया. उन्होंने कहा कि यह 8 अक्टूबर को उनके पिता यानी रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का निधन हुआ और उसके तुरंत बाद बिहार में विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) आ गए. वो एक कठिन समय था, लेकिन चुनाव में हमें लोगों का अपार समर्थन मिला. हमें 25 लाख से अधिक लोगों ने वोट किया. उन्होंने कहा कि हम जेडीयू ( JDU ) के कारण गठबंधन से अलग हुए थे और अकेले चुनाव लडऩे का फैसला किया था.
News Nation से खास बातचीत करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजभान सिंह ने कहा कि चिराग पासवान गलत सलाहकारों से घिर गए थे. उन्होंने कहा कि लोजपा पार्टी उनकी ही है. चिराग पार्टी में रह कर पार्टी की बेहतरी के लिए काम करें. कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजभान सिंह ने साफ साफ कहा कि पार्टी के संविधान के हिसाब से कुछ भी गलत नही किया गया है. उन्होंने कहा कि पार्टी की नई व्यवस्था में चिराग जुड़े और पार्टी के लिए काम करें. बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही कलह के बीच राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है. इसके अलावा चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है.
चिराग पासवान ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चिराग पासवान ने आगे कहा कि मैं जेडीयू और नीतीश कुमार की नीतियों में भरोसा नहीं करता था, इसलिए उनके सामने नतमस्तक न होने का फैसला लिया. क्योंकि पार्टी में कुछ लोग संघर्ष नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने दूसरा रास्ता चुना. हमें अपनों का भी साथ नहीं मिला. यहां तक कि चाचा पशुपति पारस ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. चिराग ने कहा कि जब मैं टायफाइ बुखार हुआ था और मैं लगभग चालीस दिनों तक बाहर नहीं आ पाया तो मौके का फायदा उठाकर मेरे पीठ पीछे मेरे खिलाफ साजिश रची गई. उन्होंने कहा कि इस बार होली पर मेरे पिता मेरे साथ नहीं थे तो परिवार कोई व्यक्ति भी मेरे साथ नहीं आया. जिसको लेकर मैंने चाचा पशुपति पारस को एक चिट्ठी भी लिखी.
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