नीतीश को डूबोने निकले चिराग पासवान खुद डूबो दी अपनी पार्टी, LJP के हिस्से आई इतनी सीट
चिराग पासवान एक भी सीट पर आगे नहीं है. ना ही एलजेपी ने अभी तक कोई सीट पर जीत दर्ज की है. यानी चिराग पासवान का एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला सही साबित नहीं होता दिख रहा है.
नई दिल्ली :
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के वोटों की गिनती जारी है. एनडीए एक बार फिर से बहुमत के आंकड़े को छू लिया है. वहीं महागठबंधन बहुमत से कुछ कदम पीछे चल रही है. दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. चुनाव आयोग की मानें तो अंतिम नतीजे देर रात आएंगी. एनडीए और महागठबंधन जहां मुकाबला करते दिख रहे हैं वहीं चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी को जोरदार झटका मिल रहा है.
चिराग पासवान ने महज एक सीट पर जीत दर्ज की है. यानी चिराग पासवान का एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला सही साबित नहीं होता दिख रहा है. दरअसल, एलजेपी की कमान संभाल रहे चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिए थे. वो नीतीश को सत्ता से बाहर करने का दावा कर रहे थे.
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उन्होंने वहां-वहां प्रत्याशी उतारा जहां जेडीयू ने अपने प्रत्याशी उतारे थे. लेकिन चिराग पासवान का नीतीश को सत्ता से उखाड़ कर फेंकने का दावा तो सही नहीं हुआ, बल्कि वो खुद बुरी तरह फ्लॉप हो गए. चिराग पासवान को एक भी सीट नहीं मिलती दिखाई दे रही है.
हां ये अलग बात है कि वो वोट कटवा के रूप में जरूर सामने आ गए हैं. कई सीटों पर उन्होंने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया है.
चुनाव आयोग की मानें तो एलजेपी को 5.60% वोट मिल रहे हैं. वहीं, बीजेपी के खाते में 19.54% जबकि जेडीयू को 15.14% वोट मिल चुके थे. वहीं, आरजेडी को 22.9% वोट मिले थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ कैंडिडेट्स नहीं खड़े किए होते तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की संभावना होती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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बता दें कि चुनाव में एलजेपी ने ने कुल 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट हासिल करती नहीं दिख रही है. फिलहाल अभी वोटों की गिनती जारी है और तस्वीर लगातार बदल रही है. वहीं बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि अगर एलजेपी एनडीए के साथ होती तो हम डेढ़ सौ सीट जीत सकते थे. एलजेपी ने एनडीए को नुकसान पहुंचाया है.
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