यहां खुद नाव चलाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे, सोया है जिला प्रशासन

जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मखवा गांव नदी के दोनों किनारे बसा है. स्कूल के दूसरे किनारे पर बसे होने के कारण रोज 100 से ज्यादा बच्चे रोजाना नदी पार कर नाव से पढ़ने जाते हैं.

जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मखवा गांव नदी के दोनों किनारे बसा है. स्कूल के दूसरे किनारे पर बसे होने के कारण रोज 100 से ज्यादा बच्चे रोजाना नदी पार कर नाव से पढ़ने जाते हैं.

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yogesh bhadauriya
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यहां खुद नाव चलाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे, सोया है जिला प्रशासन

नाव चलाकर स्कूल जाते बच्चे

बिहार के बेगूसराय में जान जोखिम में डालकर बच्चे नदी के बढ़े जल स्तर के बीच नाव की सवारी कर स्कूल जाने को विवश हैं. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मखवा गांव नदी के दोनों किनारे बसा है. स्कूल के दूसरे किनारे पर बसे होने के कारण रोज 100 से ज्यादा बच्चे रोजाना नदी पार कर नाव से पढ़ने जाते हैं. बच्चे और परिजन डरे रहते हैं कि कही कोई बड़ा हादसा ना हो जाए. ये स्कूली बच्चे वीरपुर प्रखंड के मखवा उत्क्रमित मध्य विद्यालय के छात्र हैं, मखवा गांव नदी के दोनों किनारे बसा हुआ है. मध्य विद्यालय मखवा नदी के उत्तरी भाग में है इस वजह से दक्षिण भाग के लगभग सवा सौ बच्चे रोजाना खुद से नाव चला कर या नाविक के द्वारा नाव चलावाकर स्कूल पहुंचते हैं.

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बताया जा रहा है कि हर साल, साल के 3 महीने नदी में जलस्तर बढ़े रहने की वजह से बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं क्योंकि स्कूल जाने का और कोई रास्ता नहीं है. वहीं 1 घाट से नाविक मौजूद नहीं होने के कारण बच्चे खुद नाव चला कर नदी के उस पार जाते हैं. छात्रों ने बताया कि उन्हें डर भी लगता है लेकिन पढ़ना जरूरी है इसलिए नाव से वह स्कूल जाने को मजबूर हैं.

स्कूल के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ठाकुर भी मानते हैं कि बच्चे जान जोखिम में डालकर और डर के साए में स्कूल आने को विवश हैं. प्रधानाध्यापक ने कहा कि साल के 3 महीने नदी में जलस्तर बहुत बढ़ा रहता है. इस बीच परिजनों की देखरेख में बच्चे को नाव से स्कूल भेजा जाता है और फिर विद्यालय खत्म होने के बाद शिक्षकों की देखरेख में बच्चों को नाव से घर भेजा जाता है.

प्रधानाध्यापक ने जिला प्रशासन का ध्यान खीचते हुए कहा कि पढ़ने की ललक और साधन विहीन बच्चे जान को जोखिम में डालकर नाव से रोजाना स्कूल आते हैं. छोटी नाव में दर्जनों बच्चे सवार होते हैं जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए नहीं तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

Source : कन्हैया कुमार झा

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