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अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष अजित चौधरी का दावा, बिहार का सीएम बीजेपी से

इस बीच अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष अजित चौधरी ने इस बात का दावा किया है कि इस बार बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा बीजेपी से होगा.

Updated on: 10 Nov 2020, 05:09 PM

नई दिल्ली :

बिहार विधानसभा 2020 चुनाव में एक बार फिर नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा गया चुनाव एनडीए के पाले में जाता हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन इस बार बिहार में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती हुई नजर आ रही है. इस बीच अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष अजित चौधरी ने इस बात का दावा किया है कि इस बार बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा बीजेपी से होगा. आपको बता दें कि इसके पहले भी बीजेपी के एक बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सुबह ये कहा था कि अभी तक तो नीतीश कुमार ही सीएम का फेस है लेकिन शाम तक पता चलेगा कि कौन बिहार का मुख्यमंत्री बनेगा.

आपको बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं यहां तक कि उन्होंने इस चुनाव को अपना आखिरी चुनाव घोषित कर दिया है और कहा कि इसके बाद वो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. आज बिहार विधानसभा चुनाव के वोटो की गिनती में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ साफ दिखाई दे रहा है. अब एनडीए के भीतर बीजेपी की बढ़ती हुईं सीटों की संख्या को देखते हुए नीतीश कुमार के अरमानों पर सवाल उठता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं जेडीयू अब बीजेपी की सहयोगी दिखाई दे रही है. 

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शाम तक पता चलेगा कौन बनेगा मुख्यमंत्रीः कैलाश विजयवर्गीय
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने  सुबह एक चैनल से बातचीत के दौरान बताया था क, 'अभी तो मैं यही कहूंगा कि नीतीश जी मुख्‍यमंत्री बनेंगे, लेकिन शाम तक परिणाम आने के बाद क्‍या राजनीतिक स्थिति बनती है, वो देखेंगे.' विजयवर्गीय का बयान एक इशारा है कि बीजेपी बिहार में सरकार का नया मुखिया भी तय कर सकती है. बीजेपी नेता विजयवर्गीय ने कहा, 'काम नीतीश जी का बहुत अच्‍छा था. दुष्‍प्रचार के कारण जेडीयू का थोड़ा सो वोट जरूर कम हुआ है. लेकिन (नरेंद्र) मोदी जी जादू है, बीजेपी का स्‍ट्राइक रेट बहुत अच्‍छा है.' उन्‍होंने कहा कि जो रुझान आ रहे हैं, वो मोदी का असर है.

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पीएम की रैलियों से बदला बिहार का माहौल
कोरोना काल में महानगरों से वापस लौटे बिहार के लोगों की बेरोजगारी और बाढ़ के बाद जनता में नीतीश सरकार के प्रति नाराजगी दिखाई दे रही थी. इसके अलावा सीएम नीतीश के प्रति एंटी इनकंबेसी का फैक्टर भी काम कर रहा था. जनता की इस नाराजगी को देखते हुए एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान ने सही समय पर पाला बदल लिया और वो एनडीए से बिहार में अलग हो गए और ऐलान कर दिया कि वो नीतीश के फेस पर बिहार में एनडीए के सहयोगी नहीं रहेंगे. ऐसे नाजुक समय पर बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में एंट्री हुई और रैलियों में दमदार तरीके से गठबंधन की बात रखकर माहौल को बदल दिया.