रमरेखा नदी में बहा कैमिकलयुक्त पानी, किसानों की फसलें बर्बाद, लोगों में आक्रोश
बेतिया के किसानों की आंखों में उम्मीद दिख रही है. उम्मीद कि शायद अब दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें जद्दोजहद ना करनी पड़े.
highlights
- रमरेखा नदी में बहा कैमिकलयुक्त पानी
- किसानों की फसलें बर्बाद
- लोगों में आक्रोश
Bettiah:
बेतिया के किसानों की आंखों में उम्मीद दिख रही है. उम्मीद कि शायद अब दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें जद्दोजहद ना करनी पड़े. शायद सरकार की नजर-ए-इनायत के बाद उनके दिन बुहर जाएं. दरअसल बेतिया में हरिनगर चीनी मिल की मनमानी किसानों के लिए आफत बन गई है. मिल की ओर से छोड़े गए कैमिकलयुक्त पानी ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है. मिल प्रबंधन ने रमरेखा नदी में मिल का कैमिकलयुक्त पानी बहा दिया. जिससे किसानों की सैकड़ों एकड़ में लगी धान और गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है. चतुर्भुजवा गांव में सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद होने के बाद से ही किसानों में आक्रोश का माहौल था. जिसको देखते हुए शासन-प्रशासन ने मामले पर संज्ञान लिया और किसानों के फसलों के नुकसान का आंकलन करने के लिए जिला कृषी पदाधिकारी और स्थानीय नरकटियागंज की बीजेपी विधायक रश्मी वर्मा किसानों के बीच पहुंची.
नुकसान का जायजा
विधायक और कृषि पदाधिकारी ने खेतों में जाकर नुकसान का जायजा लिया. किसानों से बात की. बर्बाद हुई फसलों की जानकारी ली और पीड़ित किसानों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. अधिकारियों के आदेश के मुताबिक अब जिन किसानों की फसलें खराब हुई है उनकी लिस्ट तैयार की जाएगी. किसानों की सूचि को वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेजा जाएगा और किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा.
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सड़ गई किसानों की फसलें
गौरतलब है कि चीनी मिल की ओर से छोड़े गए गंदे पानी के चलते नरकटियागंज प्रखंड के चतुर्भुजवा गांव के किसानों की फसलें सड़ गई हैं. अन्नदाताओं का आरोप है कि मिल के गंदे पानी से ही उनकी फसलें खराब हो गई हैं. खेतों के साथ ही नदी में रहने वाले जलीय जानवरों की भी गंदे पानी से मौत हो रही है. इससे गुस्साए किसानों ने प्रदर्शन भी किया था. जहां किसानों ने मिल प्रबंधन के साथ ही जिला प्रशासन के खिलाफ भी विरोध जताया था. हालांकि अब शासन प्रशासन ने किसानों को मुआवजा देने की बात तो कह दी है, लेकिन हरीनगर सुगर मील बीते 20 सालों से रामरेखा नदी में रसायनयुक्त पानी छोड़ रहा है और हर साल इसी तरह किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है. बावजूद इन 20 सालों में प्रशासन ने मिल प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को राहत देने के साथ मिल प्रबंधन पर भी कार्रवाई हो ताकि दोबारा किसानों को ऐसे हालातों से दो-चार ना होना पड़े.
रिपोर्ट : सत्येन्द्र कुमार पाण्डेय
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