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Blood Bag( Photo Credit : फाइल फोटो )
जब कोई हमारे और आपके घर में बीमार होता है तो हम सीधा मरीज को लेकर हॉस्पिटल पहुंचते हैं. अगले पल डॉक्टर का फरमान आ जाता है कि 2 यूनिट ब्लड की व्यवस्था करो. अब आपका ब्लड ग्रुप और मरीज का ब्लड ग्रुप अलग-अलग है तो आपके सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो जाता है कि मरीज के ही ब्लड ग्रुप का ही खून आपको चाहिए. लेकिन यह आपके लिए एक पहाड़ जैसा काम हो जाता है. आप पैसे भी खर्च करने को तैयार रहते हैं और आपको मिन्नतें भी करनी पड़ती है. ऐसे में आपकी नासमझी और मजबूरियों का खून की काला बाजारी करने वाले लोग फ़ायदा उठाने के लिए तैयार रहते हैं. आपको ब्लड की जरूरत रहती है और आप काला बाजारी करनेवालों को मुंहमांगे दाम देकर ब्लड खरीदते हैं. लेकिन आप ये नहीं ध्यान देते कि ब्लड की एक्सपायरी डेट क्या है? उसे कितने टेम्प्रेचर पर स्टोर किया गया था?
100 फीसदी सेफ ब्लड की गारंटी नहीं
वैसे तो सौ फीसदी सेफ ब्लड का दावा कोई नहीं कर सकता है . मगर आप बस उन्हीं बैंकों से ब्लड लें, जिनके पास लाइसेंस हो. ब्लड चढ़वाने से एचआईवी, हेपटाइटिस-बी व सी, सिफलिस और मलेरिया आदि बीमारियां हो सकती हैं. ब्लड की जांच में इन्हें निगेटिव पाए जाने पर भी नहीं कहा जा सकता कि आगे जाकर ये बीमारियां नहीं होंगी. इस मामले में सौ प्रतिशत सेफ्टी का दावा नहीं किया जा सकता है .
क्या सावधानियां बरतें
कोशिश ये करें कि ब्लड चढ़वाने की नौबत ही न पड़े अगर पड़ती है तो हमेशा लाइसेंस वाले या प्रमाणित ब्लड बैंक से ही ब्लड लें. ब्लड लेने से पहले ब्लड बैग पर लिखी एक्सपायरी डेट जरूर देखे लें. सावधानी इतनी जरूर बरतें कि ब्लड वाले बैग को साफ हाथों से छुएं. सबड़े बड़ी सावधानी यह कि ब्लड ले जाते वक्त सावधानी रखें कि उसका तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक बना रहे. इसके लिए थर्मोकोल के बॉक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्लड को बर्फ के साथ गलती से भी न रखें.
हर साल 1.4 करोड़ यूनिट खून की पड़ती है जरूरत
देश की जनसंख्या 138 करोड़ है. लेकिन इसके बाद भी भारत में लगातार खून की कमी है. खून की कमी का फायदा काला बाजारी करने वाले जमकर उठाते हैं. 2017 में एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इसका बाजार 300 करोड़ रुपए था जो हर साल बढ़ रहा है. नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार भारत में हर साल 1.4 करोड़ यूनिट्स खून की जरूरत होती है. लेकिन 20 लाख यूनिट्स की कमी है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है रोक
भारत में खून की खरीद अथवा विक्री करना कानून जुर्म है. वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. लेकिन आज भी खून की काला बाजारी धड़ल्ले से चल रही है . आपको हर अस्पताल के बाहर ऐसे ब्लड डोनर और दलाल मिल जाएंगे जो सिर्फ खून की खरीद-फरोख्त ही करते हैं. आये दिन समाचार पत्रों और चैनलों में आपको ऐसी खबरें देखने को मिल ही जाती हैं कि खून की काला बाजारी हो रही है. कई बार तो ब्लड बैंक के कर्मचारी और सरकारी अस्पातों के कर्मचारी तक इस धंधे में लिप्त पाये गये हैं.
दो तरह के आते हैं खून के बैक
खून को स्टोर करने के लिए दो तरह के ब्लड बैग आते हैं. उनमें रखे गए ब्लड की एक्सपाइरी डेट या लाइफ अलग-अलग होती है. एक बैग में 35 दिन, एक बैग में 42 दिन ब्लड चलता है. जिस बैग में ज्यादा दिन यानि 42 दिन ब्लड की लाइफ होती है . उसमें एड सोल नाम का लिक्विड पदार्थ डाला जाता है और यह थोड़ा महंगा पड़ता है. किसी भी प्रकार का ब्लड इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
Source : News Nation Bureau