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प्रो. चंद्रशेखर : बिहार के 'लिफाफा मंत्री'!

नीतीश सरकार के किसी भी वादे पर अब अभ्यर्थियों को भरोसा नहीं रह गया है. वो भी ऐसे समय में जब प्रदेश के मुखिया समाधान यात्रा पर है.

Updated on: 09 Feb 2023, 05:54 PM

highlights

  • शिक्षक अभ्यर्थी फिर से सड़क पर उतरे
  • नीतीश सरकार के खिलाफ कर रहे प्रदर्शन
  • नीतीश सरकार के किसी भी वादों पर नहीं रहा अभ्यर्थियों को भरोसा
  • शिक्षा मंत्री को बताया 'लिफाफा मंत्री'

Patna:

बिहार में बहार है... पढ़ल लिखल बेकार है... कितने वादे, कितने ट्वीट, ना जाने कितनी बार अभ्यर्थियों का प्रदर्शन लेकिन बिहार की नीतीश सरकार को कुंभकर्णी नींद से जगाने के लिए शायद ये सब काफी नहीं है. इसलिए एक बार फिर से अभ्यर्थियों ने कमर कस ली है और सरकार के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं.  शिक्षक अभ्यर्थी आर-पार की लड़ाई के मूड में है. नीतीश सरकार के किसी भी वादे पर अब अभ्यर्थियों को भरोसा नहीं रह गया है. वो भी ऐसे समय में जब प्रदेश के मुखिया समाधान यात्रा पर है.

 

ऐसे में जब भी शिक्षक अभ्यर्थी उम्मीद की नजर से सीएम और डिप्टी सीएम की तरफ देखते है, लेकिन उन्हें अगर कुछ मिला है तो सिर्फ आश्वासन. अब मुद्दा ये उठता है कि क्या बिहार की जनता, बिहार के युवा, बिहार के बेरोजगार अभ्यर्थियों ने जिस होश और जोश के साथ सत्ता में युवा और अनुभव के साथ की जोड़ी को सत्ता के शिखर पर बैठाया था, वो क्या सिर्फ आश्वासन के लिए? या फिर पहली कलम से नौकरी की बहाली वाले फॉर्म पर साइन करने के लिए? सरकार और खासकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से अभ्यर्थियों की यही पुकार है कि उन्हें रोजगार दिया जाए. बेरोजगारी का जो ठप्पा इन शिक्षक अभ्यर्थियों के माथे पर लगा है इसे तेजस्वी जी मिटा दीजिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ये अभ्यर्थी आपको यही कहेंगे कि आप सिर्फ लिफाफा मंत्री हैं. जो लिफाफे पर साइन करने के लिए पद पर बैठे हैं.

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'न्यूज स्टेट बिहार झारखंड' के शो 'मुद्दा आपका' में आज इसी पर बहस हुई. शो को संजय यादव द्वारा होस्ट किया गया और डिबेट में मनोज लाल दास मनु, प्रदेश सचिव, JDU, विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी, एजाज अहमद, प्रवक्ता, RJD, नीतेश पांडे, अभ्यर्थी और हमारे संवाददाता आदित्य झा ने शिरकत की. शो के दौरान शो के होस्ट संजय यादव द्वारा जिम्मेदारों से जमकर और कड़वे सवाल पूछे गए. डिबेट के दौरान पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर तमाम तरह के आरोप लगाते रहे हैं लेकिन सवाल अभी भी वही है कि आखिर शिक्षक अभ्यर्थियों की किस्मत कब बदलेगी?