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सरहद की सभी बंदिशों को तोड़, दो देशों के लोग साथ में देते हैं अर्घ्य

भारत व नेपाल के बीच प्रवाहित मेची नदी पर दोनों देशों के छठव्रती बड़ी संख्या में नदी पर घाट बनाकर आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाते आ रहे हैं.

Updated on: 28 Oct 2022, 07:25 PM

Kishanganj:

लोक आस्था का महा पर्व छठ  शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है. भारत व नेपाल के बीच प्रवाहित मेची नदी पर दोनों देशों के छठव्रती बड़ी संख्या में नदी पर घाट बनाकर आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाते आ रहे हैं. छठ पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. दोनों देशों के लोग तैयारी में जुटे हुए हैं. सीमा वासियों ने मेची नदी की साफ-सफाई करने के साथ ही घरों पर भी तैयारी में जुटे हुए हैं. इसके अलावा घरों पर महिलाओं ने भी पूजा को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है. साथ ही छठ महापर्व पर व्रतियों को मेची छठ घाट पर आवाजाही में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो, इसके लिए प्रशासन द्वारा सड़क पर बने गड्ढे को भी ठीक किया जा रहा है ताकि छठ व्रतियों को आने जाने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो.

वहीं मेची नदी के घाट को देखकर हर धर्म के लोगों को भी काफी पंसद आता है. यहां भारत व नेपाल के छठव्रती बड़ी संख्या में भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी पर घाट बनाकर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं. छठ पूजा के दिन यहां अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जब दो मित्र देश के श्रद्धालु आपस में मिलते है और भगवान भास्कर को एक ही घाट पर अर्ध्य देते हैं. यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है. एक श्रद्धालु बताते हैं कि नेपाल से हमारा रोटी बेटी का संबंध है और यह संबंध छठ पूजा पर यहां चरितार्थ होता दिखाई देता है.

भारत व नेपाल के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं. उसमें मुख्य रूप से भारत के कई गांव कस्बों के श्रद्धालुओं के साथ नेपाल के झापा जिले के दर्जनों शहर व गांवों के  छठव्रती इस नदी तट पर छठ पर्व करते हैं. यहां भारत-नेपाल के गलगलिया सीमा पर से सटे बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते आ रहे हैं. ठाकुरगंज प्रखंड के भातगांव पंचायत के गलगलिया, भातगांव, नेमुगुड़ी, पासवानटोला, सहनीटोला, दरभंगियाटोला, आदि गांव के छठव्रती मेची नदी घाट पर भगवान सूर्य की आराधना करते हैं.

मेची नदी के पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती छठ पर्व मनाते हैं. दोनों देश के छठव्रती के एक साथ पर्व मनाने का यह विहंगमदृश्य व नजारा देखने लायक होता है. दोनों देश के लोग सरहद की सभी बंदिशों को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हुए अर्घ्य देते हैं. नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बिहार व यूपी के रहने वाले लोगों के साथ-साथ नेपाल के मूल निवासी की भी छठ पर्व के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है। नेपाल के भद्रपुर, चंद्रगुड़ी, बिर्तामोड, कांकड़भिट्टा, धुलाबाड़ी आदि शहरों में बड़ी संख्या में बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोग सहित हर धर्म के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढ़ने लगी है और आज देखते देखते बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी सहित कई अन्य धर्म के लोग भी छठ पर्व की आस्था से जुड़ रहे हैं.