बिहार का प्रतीक चिन्ह बदलना चाहती है बीजेपी, भड़के जेडीयू-आरजेडी

बिहार में एनडीए की सरकार (Bihar NDA Government) इस बार जो बनी, उसकी स्थिति बेमेल शादी की तरह हो गयी है. किसी भी मुद्दे पर जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) में बन नहीं रही. हर मुद्दे पर विरोधाभास है. अब बीजेपी (BJP) नया बदलाव चाहती है.

बिहार में एनडीए की सरकार (Bihar NDA Government) इस बार जो बनी, उसकी स्थिति बेमेल शादी की तरह हो गयी है. किसी भी मुद्दे पर जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) में बन नहीं रही. हर मुद्दे पर विरोधाभास है. अब बीजेपी (BJP) नया बदलाव चाहती है.

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Shravan Shukla
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Bihar Rajya Pratik Chihn

बिहार राज्य का प्रतीक चिन्ह( Photo Credit : File/News Nation)

बिहार में एनडीए की सरकार (Bihar NDA Government) इस बार जो बनी, उसकी स्थिति बेमेल शादी की तरह हो गयी है. किसी भी मुद्दे पर जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) में बन नहीं रही. हर मुद्दे पर विरोधाभास है. अब बीजेपी (BJP) नया बदलाव चाहती है. इस बार बीजेपी बिहार (Bihar) का प्रतीक चिन्ह बदलना चाहती है. बिहार के प्रतीक चिन्ह में उर्दू में बिहार भी लिखा है. बीजेपी उस प्रतीक चिन्ह को चाहती है जो भारत के बिहार प्रान्त (Bihar State) के रूप में अंकित है. 

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अभी प्रतीक चिन्ह कौन सा है?

बिहार के प्रतीक में दो स्वस्तिकों से घिरे बोधि वृक्ष प्रार्थना की मालाओं से दर्शाया गया है. पेड़ का आधार एक ईंट है, जिस पर उर्दू में "बिहार" लिखा है.

बीजेपी की क्या है मांग?

बीजेपी चाहती है कि इस प्रतीक चिन्ह के बजाय संसद में इस्तेमाल हो रहे प्रतीक का उपयोग हो. पीपल के वृक्ष वाला प्रतीक चिन्ह बीजेपी चाह रही है. बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने बिहार के प्रतीक चिन्ह के बजाय संसद में इस्तेमाल होने वाले प्रतीक चिन्ह की मांग की है. इनका मानना कि जो केंद्र में प्रतीक चिन्ह इस्तेमाल हो रहा है, वो ज्यादा उपयुक्त है. बिहार सरकार इसी चिन्ह का इस्तेमाल करे. उन्होंने इसे लेकर बिहार विधानसभा में भी एक गैर सरकारी संकल्प दे दिया है. इनका मानना कि अभी जो प्रतीक चिन्ह इस्तेमाल हो रहा है, बिहार में उससे पहले से केंद्र वाली प्रतीक मान्य है.

बीजेपी की इस मांग पर भड़की जेडीयू

बीजेपी की इस मांग पर जेडीयू भड़क गई है. जेडीयू को ये लगने लगा है कि बिहार में बीजेपी हर जगह अपना एजेंडा हावी करना चाहती है. पहले भी जनसंख्या नियंत्रण कानून, सीएए, एनआरसी, अग्निपथ, सीबीएसई सिलेबस में बदलाव, नमाज़ में लाउडस्पीकर पर रोक जैसे बीजेपी के कई मुद्दों का जेडीयू ने तीखा विरोध किया है. जेडीयू के एमएलसी खालिद अनवर ने न्यूज़ नेशन से बातचीत में बीजेपी पर खुल कर भड़ास निकाली है. उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड अपने विचारधारा से समझौता नहीं करेंगी. हमने बीजेपी से एलायंस रख कर खुद को गिरवी नहीं रखा. यहां वही होगा जो नीतीश कुमार चाहेंगे. यहां न ही बीजेपी की मांग पर प्रतीक चिन्ह बदलेगा, न ही कोई कानून बनेगा. 

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खालिद अनवर ने कहा कि हमारी पार्टी सबसे बड़ी है. हमारे नेता नीतीश कुमार सबसे बड़े हैं. एमएलसी खालिद ने प्रतीक चिन्ह बदलने की मांग पर गुस्सा निकालते हुए कहा कि हमारा आज भी ये आरोप है कि अग्निपथ पर बीजेपी ने अपने सहयोगियों को साथ में नहीं रखा. लूप में न राजनीतिक दलों को रखा और न ही देश की जनता को आपने समझाया. देश जला तो इसके मुलजिम पॉलिसी बनाने वाले लोग हैं. अग्निपथ लेकर आते समय आपने किससे बात की? स्टेक होल्डर्स को साथ में नहीं रखा. बिहार में जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहेंगे, वो करेंगे. बिहार में आरजेडी के सबसे बड़ी पार्टी बनने और जेडीयू के साथ नए गणित पर खालिद ने कहा कि नीतीश कुमार कभी किसी दबाव में काम नहीं करेंगे. राजनीति में संभावनाओं की कोई कमीं नहीं है. 

आरजेडी ने किया विरोध, बीजेपी को चेतावनी

इस खींचतान को लेकर कई तरह के कयास भी लगने लगे हैं. चूंकि विधानसभा में बीजेपी से बड़ी पार्टी आरजेडी हो गयी है. एआईएमआईएम के 4 विधायकों को लेकर अब आरजेडी 80 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. बीजेपी 77 विधायकों के साथ दूसरे स्थान पर है और जेडीयू 45 के साथ तीसरे स्थान पर है. चर्चा ये कि आरजेडी और जेडीयू दोनों पार्टियां मिल जाए तो अकेले समीकरण बदल जाए. इधर आरजेडी भी मज़ा ले रही है.

आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी इस प्रतीक चिन्ह बदलने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. वे कह रहे कि बीजेपी हर चीज़ अपने अनुसार बदलना चाहती है ऐसा नहीं होगा. कभी स्टेशन का नाम, कभी शहर का नाम, कभी प्रतीक चिन्ह... ऐसी तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस दौरान बदले हुए बिहार के राजनीतिक गणित पर उन्होंने संभावनाओं की बात कर बीजेपी को हिदायत भी दी है. 

बिहार में इस शासन में बीजेपी की पुरजोर कोशिश है कि वो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना कर भी बड़े भाई की भूमिका में रहे, जो कि जेडीयू नागवार गुज़र रहा है. यही कारण कि दोनों ही पार्टियों की किसी भी मुद्दे पर बन नहीं रही है. ऐसे में बिहार की राजनीति में संभावनाओं के द्वार खुले दिखते हैं. 

HIGHLIGHTS

  • बिहार एनडीए में फिर पड़ी फूट
  • राज्य के प्रतीक चिन्ह को लेकर लड़ाई
  • बीजेपी की मांग का जेडीयू-आरजेडी ने किया विरोध
नीतीश कुमार BJP प्रतीक चिन्ह बीजेपी
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