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BJP शासित बिहार NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाने वाला देश का पहला राज्य बना

बिहार की नीतीश सरकार के इस फैसले को विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

Updated on: 26 Feb 2020, 11:19 AM

पटना:

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के साथ राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का देश में पिछले तीन महीनों से केंद्र की बीजेपी सरकार (BJP Govt) के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हो रहा है. देश के कई हिस्सों में हिंसा भी देखने को मिली. बीते 3 दिनों में सीएए और एनआरसी की चिंगारी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) को भी जला दिया है. कई वाहनों, घरों और दुकानों को दंगाइयों ने फूंक दिया है. अब तक दिल्ली में हुई हिंसा में 18 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. सीएए-एनआरसी पर हिंसा के बीच दिल्ली से हजार किलोमीटर दूर बिहार (Bihar) में एनआरसी के ही खिलाफ अहम प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया गया. 

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सबसे अहम बात यह है कि बिहार बीजेपी शासित राज्य है. बीजेपी यहां जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के साथ मिलकर सरकार चला रही है और देश में भी सीएए-एनआरसी को लेकर बीजेपी के खिलाफ ही विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी शासित बिहार प्रदेश में NRC लागू नहीं करने का प्रस्ताव लाने वाला देश का पहला राज्य बना है. मौजूदा वक्त में बिहार समेत देश के 16 राज्यों में बीजेपी समर्थित सरकार चल रही हैं. मगर इनमें से महज बिहार में ही एनआरसी के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी पहले ही देश में एनआरसी न लाने का ऐलान कर चुकी है. कई रैलियों और जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी सरकार देश में एनआरसी लागू करने पर किसी तरह का विचार नहीं कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार कहा था कि बिहार में एनआरसी लागू करने का प्रश्न ही नहीं उठता. उन्होंने मंगलवार को भी सदन में यही बात दोहराई. नीतीश कुमार ने एनआरसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को भी उद्धृत किया. मगर बिहार विधानसभा में एनआरसी के खिलाफ पारित प्रस्ताव को विपक्ष अपनी जीत बता रहा है.

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बिहार की नीतीश सरकार के इस फैसले को विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. जिस तरह से विपक्ष ने एनआरसी-एनपीआर को अपना सियासी मुद्दा बना लिया था और सरकार को घेरा था, उससे ऐसा लग रहा था कि यह मुद्दा एनडीए के लिए मुसीबत खड़ी कर देगा. क्योंकि झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था. लिहाजा बिहार में इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए सरकार ने एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाकर राज्य की सियासत को नया मोड़ दे दिया है. बहरहाल, देखने वाली बात यह होगी कि नीतीश सरकार के इस फैसले का असर जनता पर पड़ता है या फिर विपक्ष इस मुद्दे के बलबूते सत्ता में वापसी कर पाता है.

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