2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू के बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव में एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) को दो सीटें देने की पेशकश की है. पुष्ट सूत्रों ने बताया, 'बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और आरएलएसपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के बीच बैठक के दौरान यह पेशकश की गई.'
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी और जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) की ओर से जिस दिन बराबर की सीटों पर लड़ने का फैसला किया गया, उसी दिन कुशवाहा ने बिहार के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी, जिसके बाद कयास लगाया जा रहा था कि वह इस पहल से खुश नहीं हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी ने एनडीए के गठबंधन के अंतर्गत तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी'
सवाल यह है कि लोकसभा के 40 सीटों में से कितने पर बीजेपी लड़ेगी और कितने पर जेडीयू. बाकि पार्टियों को कितनी सीट मिलेगी. अगर जेडीयू और बीजेपी 15-15 सीटों पर चुनाव लड़ती है. तो बचती है 10 सीटें. जिसे रामविलास की पार्टी एलजेपी (लोकजनशक्ति पार्टी) और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) को देना है. अगर दोनों को बीजेपी 5-5 सीट देती है तो क्या एलजेपी इसे मान लेगी. रामविलास पासवान ने पहले ही बता दिया है कि वो 7 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें लोकसभा की 40 सीटों में से बीजेपी 17, जेडीयू 17, रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी 4 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएसएलपी 2 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
अगर बीजेपी-जेडीयू के तय फार्मूला में एलजेपी (LJP) और आरएलएसपी (RLSP) की सहमति है तब तो एनडीए (NDA) में सबकुछ ठीक होगा, लेकिन अगर बिना इनके ये फार्मूला तय किया गया होगा तो घमासान मचना तय है.
बता दें कि 2014 में बीजेपी का साथ जेडीयू ने छोड़ दिया था, लेकिन एलजेपी और आरएसलएसपी उनके साथ खड़े थे. ऐसे में उनकी वफादारी का ईनाम बीजेपी नहीं देती है तो फिर बिहार एनडीए का चेहरा बदल सकता है.
पिछली बार बीजेपी 30, एलजेपी 7 और आरएसएलपी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें बीजेपी ने 22, एलजेपी ने 6 और आरएसएलपी ने तीन सीटें जीती थीं. वहीं एनडीए से अलग होकर जेडीयू ने जब चुनाव लड़ा था तो उसे महज 2 सीट मिली थी. इसके बावजूद जेडीयू ने आधे से ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है.
कुल मिलाकर अमित शाह और नीतीश कुमार ने मिलकर सीट बंटवारे का फार्मूला तय तो कर लिया, लेकिन एलजेपी और आरएलएसपी इससे कितना इत्तेफाक रखती है दो से तीन दिनों में ये साफ हो जाएगा. क्योंकि अमित शाह ने कहा है कि दो से तीन दिनों में नंबर की घोषणा कर दी जाएगी और इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान भी साथ होंगे.
इस फैसले से LJP और RLSP की बढ़ सकती है नाराजगी
गौरतलब है कि बिहार में 40 लोकसभा सीटों के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था. एनडीए के घटक दलों में शामिल लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने जहां अब तक सीटों के बंटवारे से संबंधित कोई चर्चा नहीं होने का दावा किया था, वहीं इसके ठीक उलट जेडीयू ने कहा कि एनडीए में सीटों का बंटवारा हो चुका है और जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी. अब नई घोषणा के बाद एलजेपी और आरएलएसपी में ज्यादा सीटों की मांग को लेकर तलवारें खींच सकती है जो निश्चित तौर पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाएंगी.
बताया जा रहा है कि बीजेपी 17, जेडीयू 16, रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी पांच और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएसएलपी दो सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. पिछली बार बीजेपी 30, एलजेपी सात और आरएसएलपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें बीजेपी ने 22, एलेजेपी ने छह और आरएसएलपी ने तीन सीटें जीती थीं.
बता दें कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी मिलकर चुनाव लड़ी थीं, जबकि अब एनडीए में जेडीयू भी शामिल हो गया है.
Source : News Nation Bureau