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30 जुलाई से 2 दिवसीय बिहार प्रवास पर BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, जानें दौरे की पूरी इनसाइड स्टोरी

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 30 जुलाई को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आएंगे. जेपी नड्डा अपने बिहार दौरे पर बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक में देशभर से बीजेपी के सातों विंग के अध्यक्ष और प्रतिनिधि शामिल होंगे.

Updated on: 21 Jul 2022, 06:18 PM

Patna:

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 30 जुलाई को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आएंगे. जेपी नड्डा अपने बिहार दौरे पर बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक में देशभर से बीजेपी के सातों विंग के अध्यक्ष और प्रतिनिधि शामिल होंगे. बैठक में लगभग 750 प्रतिनिधियों के बैठक में शामिल होने की खबर है. यह भी माना जा रहा है कि इसी बैठक में बिहार कैबिनेट में कुछ नए चेहरों को बीजेपी कोटे से शामिल किए जाने पर मुहर लगेगी. साथ ही कुछ मंत्रियों को नीतीश कैबिनेट से बाहर किया जा सकते है और युवाओं चेहरों को मौका मिल सकता है.

बिहार ही ऐसा राज्य है जहां बीजेपी अभी तक पूरी तरह से सत्ता में नहीं आ सकी है. ज्यादा सीटें लाने के बाद भी जेडीयू को मुख्यमंत्री पद देना पड़ा है. एक बार, दो बार नहीं बल्कि कई बार जेडीयू के साथ बीजेपी को सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा और कम सीटें लाने वाली जेडीयू को छोटा भाई बताने के बावजूद सीएम कुर्सी देनी पड़ी. सीएम कुर्सी दी तो दी लेकिन बीजेपी को जेडीयू के नखरे भी कई मौकों पर उठाने पड़े हैं. 

2014 में बीजेपी-जेडीयू के बीच आ गई थी दरार
2014 लोकसभा चुनाव से पहले जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़ा. कारण था भाजपा पीएम चेहरा घोषित करे. पीएम चेहरे रूप में जेडीयू नीतीश कुमार का नाम आगे रख रही थी लेकिन भाजपा चुनाव प्रचार समिति ने जैसे ही नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा पीएम प्रत्याशी के तौर पर की, वैसे ही लगभग 17 साल पुराना जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट गया और जेडीयू के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव और सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. दोनों ने ही बीजेपी को वसूलों से भटकी हुई पार्टी तक बना डाला था और राजद के साथ सरकार बनाई. उसी बीजेपी ने जेडीयू और आरजेडी गठबंधन वाली सरकार पर 2014 में सवाल खड़े किए. 

2017 में फिर से बीजेपी के साथ जेडीयू ने बनाई सरकार
वक्त ने फिर करवट ली और एक बार फिर से 2017 में बीजेपी से अलग होने के लगभग 20 महीने बाद नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ हो गए और आरजेडी चीफ लालू यादव पर मनमानी करने का आरोप लगाया। एक बार फिर से बीजेपी को जेडीयू पर भरोसा हगो गया और बीजेपी को भी अपने छोटे भाई यानि जेडीयू से कोई शिकायत नहीं रह गई थी और न ही नीतीश कुमार से, यानी आरेजेडी से नाता तोड़ते ही बीजेपी और जेडीयू एक दूसरे के लिए पवित्र हो गए थे. फिर से 2020 में एक बार सूबे में बीजेपी, जेडीयू ने एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन सरकार बनने के बाद दोनों ही दलों का एक अलग ही ड्रामा देखने को लगातार मिलता रहा. सरकार में साथ होने के बावजूद जेडीयू और बीजेपी के नेता एक दूसरे पर हमला करते अक्सर देखे जाते हैं. ऐसे में यह कहना भी सही होगा कि इस समय न तो बीजेपी को जेडीयू पर और न ही जेडूयी को बीजेपी पर कोई भरोसा है और दोनों ही विकल्प के रूप में आरजेडी को अपना छोटा भाई बना सकते हैं और जेडीयू इसलिए ही शायद बीजेपी को ज्यादा तवज्जो नहीं देती क्योंकि आरजेडी उसका साथ देने के लिए हर समय बैठी रहती है. 

तेजस्वी यादव कई बार जेडीयू को समर्थन देने की कह चुके हैं बात
आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो कई मौकों पर और कई बहानों से यहां तक कह चुके हैं कि वह जेडीयू को समर्थन देने के लिए तैयार बैठे हैं. ऐसे में बीजेपी को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए शीर्ष नेतृत्व लगातार मेहनत कर रहा है. केंद्र में बिहार से मंत्रियों की भागीदारी की बात हो या विकास कार्यों की पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार का खजाना बिहार के लिए समय-समय पर खुलता रहा है. 

2010 के बाद इतनी बड़ी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की होगी बैठक
अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार में बीजेपी को और मजबूत करने के लिए एक अलग ही प्लानिंग कर रखी है. लगभग 12 वर्षों बाद 30 जुलाई को होने वाली दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बिहार की राजधानी पटना में आयोजित की जाएगी. इसमें देशभर से आनेवाले 750 प्रतिनिधि शामिल होंगे.  बीजेपी के सात राष्ट्रीय फ्रंटल संगठन यानि महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा, पिछड़ा मोर्चा, किसान मोर्चा, अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा के सभी पधाधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे.

युवा चेहरों को नीतीश कैबिनेट में किया जा सकता है शामिल
माना जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कई निर्णय ले सकते हैं. निर्णय खासकर युवा चेहरों को मौका देने पर लिया जा सकता है. 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी कहीं न कहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को चुनौती मान रही है. ऐसे में युवा नेताओं को आलाकामान मौका देने के मूड में है और नीतीश कुमार की कैबिनेट में मुकेश सहनी के इस्तीफे के बाद सहनी वर्ग को साधने के लिए सहनी सामाज से एक मंत्री भी बना सकती है. इसके अलावा बीजेपी कोटे के मंत्रियों के नामों पर भी निर्णय लिया जाएगा.