'सम्मान नहीं मिला तो हमारे दरवाजे खुले हैं'... चिराग के चाचा पशुपति पारस ने दी वार्निंग
चिराग के चाचा पशुपति का क्या होगा? आपको बता दें कि बीजेपी ने बिहार में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला लगभग तय कर लिया है, लेकिन पशुपति की टेंशन बढ़ गई है.
नई दिल्ली:
बिहार में एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला लगभग साफ हो गया है. इस सीट शेयरिंग फॉर्मूल में चिराग पासवान का चिराग रोशन हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, खबर सामने आई है कि बीजेपी इस चिराग की पार्टी को 5 सीटें देने जा रही है. वही, चिराग के चाचा को निराश का सामना करना पड़ सकता है. इस खबर के बाद केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि आज हमारी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई और सदस्यों ने फैसला किया है कि जब तक बीजेपी उम्मीदवारों की पूरी सूची साझा नहीं करती, हम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह आग्रह करते हैं कि हमारे पांचों सांसदों पर विचार करें. उन्होंने कहा कि घोषणा के बाद अगर हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो हमारी पार्टी स्वतंत्र है और हमारे दरवाजे खुले हैं. हम कहीं भी जाने को तैयार हैं.
सीट शेयरिंग का फॉर्मूला हुआ तय
बता दें कि भतीजे चिराग बीजेपी में मिल रहे महत्व से काफी असहज महसूस कर रहे हैं. हाल ही में चिराग ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद जब चिराग से उनके चाचा के बारे में पूछा गया तो चिराग ने कहा था कि मुझे नहीं पता कि वह एनडीए का हिस्सा हैं या नहीं. चिराग ने कहा कि बिहार में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो गया है. हम राज्य की सभी सीटों और देश भर की 400 सीटों पर कब्जा करने जा रहे हैं.कयास लगाए जा रहे हैं कि एनडीए ने बिहार में सीट शेयरिंग का सस्पेंस खत्म कर दिया है. इसमें जीतन राम मांझी की पार्टी HAM को एक सीट, उपेन्द्र कुशवाह की पार्टी ERLM को एक सीट और चिराग की पार्टी को 5 सीटें देने की बात है. इसके अलावा नीतीश कुमार की पार्टी को 16 सीटें दी गई हैं.
आखिर चाचा क्या होगा?
अब सवाल यह है कि अगर बीजेपी पशुपति पारस को नजरअंदाज नहीं कर सकती तो उनका क्या होगा? सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि उन्हें राज्यपाल पद का ऑफर दिया जा सकता है और समस्तीपुर से सांसद राज को बिहार सरकार में मंत्री पद का ऑफर दिया जा सकता है. आपको बता दें कि चिराग पासवान के चचेरे भाई हैं. पिता रामचन्द्र पासवान के निधन के बाद प्रिंस राज समसस्तीपुर से उपचुनाव जीतकर सांसद बने, लेकिन साल 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई और प्रिंस राज पशुपति पारस के खेमे में चले गए.
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