चरणबद्ध तरीके से बिहार में लॉकडाउन हटने की उम्मीद, केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी नीतीश सरकार
कोरोनावायरस के चलते देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 अप्रैल तक लॉक डाउन घोषित है. अब इस तारीख के नजदीक आते ही लॉग डाउन के खुले को लेकर संशय बना हुआ है.
पटना:
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Corona Virus) के चलते देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 अप्रैल तक लॉक डाउन घोषित है. कोरोनावायरस का संकट देश में तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दो से तीन दिनों में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है. लिहाजा अब इस तारीख के नजदीक आते ही लॉग डाउन के खुले को लेकर संशय बना हुआ है. कई विशेषज्ञ और राज्य सरकारें कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर केंद्र सरकार से 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन (Lockdown) की अवधि बढ़ाने का आग्रह कर रही हैं. केंद्र सरकार भी इस दिशा में विचार कर रही है. लेकिन बिहार (Bihar) में लॉक डाउन के खुलने की उम्मीद जताई जा रही है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार की नीतीश सरकार राज्य में लॉक डाउन खोलने के पक्ष में है. सरकार इस लॉक डाउन को अलग-अलग चरणों में खोलने की तैयारी कर रही है, हालांकि हवाई सेवा और अंतर राज्य बस सेवा को बंद रखना चाहती है. इसको लेकर बिहार सरकार अपना प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने वाली है.
गौरतलब है कि मंगलवार तक देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 5 हजार के पार हो गई है, जबकि 124 लोग दम तोड़ चुके हैं. वहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शाम को दिये गए अपडेट के अनुसार देश में 5200 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और 124 लोगों की मौत हुई है. बिहार में भी कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है. राज्य में अब तक इस महामारी से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 40 के पार पहुंच गया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बंद को हटाए जाने के तौर-तरीकों पर चर्चा करते हुए स्पष्ट संकेत दिये थे कि एक बार में बंद को हटाए जाने की संभावना बेहद कम है. प्रधानमंत्री द्वारा गठित उच्च स्तरीय समितियों के समक्ष राज्य सरकारों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भेजी, जिसमें राज्यों ने लॉकडाउन के विस्तार की सिफारिश की है. कई मुख्यमंत्रियों ने कोरोना के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए बंद को बढ़ाए जाने की हिमायत की थी.
हालांकि कोविड-19 पर आधारित अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार यह संकट भारत में असंगठित क्षेत्र के लगभग 40 करोड़ कामगारों को घोर गरीबी के दलदल में धकेल देगा जबकि लॉकडाउन और अन्य पाबंदियां नौकरियों और कमाई पर असर डाल रही हैं.
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