Chaiti Chhath Puja: बिहार के महापर्व चैत्री छठ की 12 अप्रैल से शुरुआत, इन बातों का रखें खास ध्यान

लोक आस्था का महापूर्व छठ पूजा को उत्तर भारत के लोगों को लिए यह एक त्योहार नहीं बल्कि एक इमशोन है. छठ पूजा को पवित्रता और शुद्धता के साथ मनाया जाता है.

लोक आस्था का महापूर्व छठ पूजा को उत्तर भारत के लोगों को लिए यह एक त्योहार नहीं बल्कि एक इमशोन है. छठ पूजा को पवित्रता और शुद्धता के साथ मनाया जाता है.

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Vineeta Kumari
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बिहार के महापर्व चैत्री छठ की 12 अप्रैल से शुरुआत( Photo Credit : फाइल फोटो)

लोक आस्था का महापूर्व छठ पूजा को उत्तर भारत के लोगों को लिए यह एक त्योहार नहीं बल्कि एक इमशोन है. बिहार के लोग छठ पूजा को लेकर काफी उत्साहित होते हैं. राजधानी पटना से लेकर पूरे राज्यभर में सभी छठ घाटों में साफ-सफाई शुरू हो चुकी है. छठ पूजा को पवित्रता और शुद्धता के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा को शादीशुदा महिलाएं करती हैं. छठ पूजा के नियम काफी कठिन होते हैं. इस पूजा में किसी प्रकार की गलती नहीं की जानी चाहिए. चैती छठ पूजा की शुरुआत 12 अप्रैल से होने जा रही है. वहीं, 12 अप्रैल को नहाय खाय के साथ इसकी शुरुआत होगी और 15 अप्रैल को महापर्व का समापन हो जाएगा. छठ पूजा दो बार मनाया जाता है एक कार्तिक मास में और दूसरा चैत्र मास में. इस पूजा में भगवान भास्कर की पूजा होती है. चैत्र मास में होने वाले छठ व्रत को चैती छठ कहा जाता है और पंचाग के अनुसार, यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.  

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12 अप्रैल से चैत्री छठ की शुरुआत

यह व्रत 48 घंटे का लंबा व्रत होता है. इस दौरान व्रता सात्विक अल्पाहार करती हैं. 12 अप्रैल को नहाय खाय के बाद 13 अप्रैल को खरना, 14 अप्रैल को संध्या अर्घ्य और 15 अप्रैल को उगते सूर्य का अर्घ्य के साथ पूजा का समापन होता है. नहाय खाय के  बाद व्रता सात्विक भोजन बनाती हैं और खाती हैं. दूसरे दिन खीर बनता है, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है तो चौथ दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मईया भगवान सूर्य की बहन हैं. इसलिए इस दिन भगवान सूर्य के साथ ही छठी मईया की भी पूजा की जाती है.

यह व्रत संतान सुख व संतान के दीर्घायु और घर परिवार की सुख शांति व खुशहाली के लिए किया जाता है. 

उगते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य

छठ महापर्व के आखिरी दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. लोग बांस के सूप में फल, प्रसाद रखकर उसे पीले कपड़े से ढक कर अर्घ्य देते हैं. इसके बाद दीया जलाकर सूप में रखा जाता है और सूप को दोनों हाथों में लेकर अर्घ्य दिया जाता है. 

नवरात्रि के छठे दिन से चैत्री छठ की शुरुआत

चैत्री छठ की खासियत यह है कि यह नवरात्रि के छठे दिन मनाया जाता है और इस दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है. नहाया खाय के दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. वहीं, खरना के दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. जिसकी वजह से चैत्र नवरात्रि का व्रत रखने वाली व्रताओं को छठ मैया के साथ ही मां दुर्गा का भी आशीर्वाद मिलता है.

HIGHLIGHTS

  • 12 अप्रैल से चैत्री छठ की शुरुआत
  • 15 अप्रैल को अर्घ्य के साथ पूजा का समापन
  • डूबते और उगते सूर्य को देते हैं अर्घ्य

Source : News State Bihar Jharkhand

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