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बिहार का पहला मेट्रो वायरल वीडियो Photograph: (X)
पटना के लिए इस साल का दिसंबर बेहद खास होने वाला है. बिहार की राजधानी जल्द ही राज्य की पहली इलेक्ट्रिक वाटर मेट्रो का तोहफा पाने जा रही है. यह परियोजना करीब ₹908 करोड़ की लागत से पूरी की जा रही है और इसके शुरू होने के बाद पटना के नदी किनारे बसे इलाकों में सफर करना और भी आसान हो जाएगा.
वाटर मेट्रो कैसे काम करती है?
वाटर मेट्रो दरअसल नाव और मेट्रो का मिश्रण है. यह बैटरी से चलने वाली आधुनिक बोट होती है, जो नदियों और जलमार्गों पर फेरी सर्विस की तरह काम करती है. इसमें इलेक्ट्रिक चार्जिंग की सुविधा रहती है और खास बात यह है कि यह पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त है. पानी में चलते समय न तो शोर होता है और न ही धुआं निकलता है. यात्री सामान्य मेट्रो की तरह टिकट लेकर इसमें सफर कर सकते हैं और निर्धारित प्वाइंट्स पर उतर सकते हैं. इसमें एयर-कंडीशंड डिब्बे, आरामदायक सीटें और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी रहते हैं.
पटना में इसकी जरूरत क्यों?
पटना शहर गंगा नदी के किनारे बसा है और यहां ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या है. वाटर मेट्रो शुरू होने के बाद लोगों को सड़क पर घंटों फंसने से राहत मिलेगी. नदी के रास्ते सफर करने से समय की बचत होगी और लोगों को सस्ता, तेज और सुरक्षित विकल्प मिलेगा.
अन्य राज्यों से प्रेरणा
केरल के कोच्चि में पहले से वाटर मेट्रो सेवा चल रही है, जिसे काफी सराहा गया है. अब पटना में भी इसी मॉडल को अपनाया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिहार में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तस्वीर बदलने वाला कदम साबित होगा.
स्थानीय लोगों की उम्मीदें
लोगों का कहना है कि अगर यह सेवा समय पर शुरू हो जाती है तो इससे न सिर्फ़ यात्रा आसान होगी बल्कि पटना पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. गंगा किनारे सफर करने का नया अनुभव युवाओं और पर्यटकों को खूब आकर्षित करेगा.
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