logo-image

बच्चों को नाव पर ट्यूशन पढ़ाने को मजबूर शिक्षक, चारों तरह पानी ही पानी

बिहार कटिहार के मनिहारी प्रखंड के बाघमारा पंचायत स्थित वार्ड संख्या 03 में बांध पर बसे सैकड़ों विस्थापित परिवार के बच्चे मजबूरी में नाव पर पढ़ते हैं.

Updated on: 04 Sep 2021, 10:50 PM

नई दिल्ली:

बिहार ( Bihar ) कटिहार के मनिहारी प्रखंड के बाघमारा पंचायत स्थित वार्ड संख्या 03 में बांध पर बसे सैकड़ों विस्थापित परिवार के बच्चे मजबूरी में नाव पर पढ़ते हैं. हम आपको पूरी बात बताते हैं दरअसल यहां सैकड़ों की संख्या में विस्तारित परिवार अभी एकमात्र सूखा स्थान जो ग्रामीण सड़क है उस पर बसा हुआ है और कोई भी सुख आस्था नहीं है. चारों तरफ बाढ़ का पानी फैला हुआ है ऐसे में मजबूरी में बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए प्राइवेट जो शिक्षक हैं वह उन्हें नाव पर ही ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. यह बच्चे कई सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं जिसमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय पटनी महेशपुर,गांधी टोला प्राथमिक विद्यालय , प्राथमिक विद्यालय मुसहरी टोला एवं कन्या बालिका उच्च विद्यालय की भी छात्राएं हैं जो दसवी और एगयारह में पढ़ती है.
 
यह भी पढ़ें: फिलिस्तीन ने अमेरिका से जेरूसलम में वाणिज्य दूतावास को फिर से खोलने का किया आग्रह
 
शिक्षक पप्पु महतो का कहना है कि क्या करें हमें मजबूरी में पढ़ाना पड़ रहा है चारों तरफ पानी है और बीच सड़क पर लोग अपना अपना घर बना लिए हैं क्योंकि उनका भी घर अब डूब चुका है ऐसे में जो बच्चे पढ़ना चाहते हैं उन्हें मजबूरी में हम लोग  नाव में पढ़ा रहे हैं. मैं क्लास 8 से लेकर 10:00 तक के बच्चों को पढ़ाता हूं. कोरोना  काल से ही बच्चों की पढ़ाई मैं सरकारी विद्यालयों में काफी व्यवधान चल रहा है और उनकी पढ़ाई भी नहीं हो पा रहा हे। ऐसे में ग्रामीणों के लिए प्राइवेट ट्यूशन ही एक माध्यम है जिससे बच्चों को शिक्षा मिल रहा है‌.

यह भी पढ़ें: एयरएशिया इंडोनेशिया ने उड़ान सेवाओं के अस्थायी निलंबन को 30 सितंबर तक बढ़ाया

वही दूसरे नाव पर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक अनिल महतो कहते हैं कि वार्ड संख्या 3 चारों तरफ पानी से गिर चुका है और कहीं भी बाढ़ के पानी से अछूता नहीं है ऐसे में सिर्फ यामीन सड़क है लेकिन वह भी बाढ़ पीड़ितों ने अपना आशियाना डाल दिया है. ऐसे में अब बच्चों की पढ़ाई कैसे हो इसके लिए हम लोगों ने हल निकाला है और क्योंकि बाढ़ ग्रस्त इलाके होने के कारण कई नाव यहां हैं जिस पर हम लोग बच्चों को पढ़ाते हैं.