क्या UPA सरकार में गृहमंत्री बनना चाहते थे लालू यादव? JDU का बड़ा हमला

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आंध्र प्रदेश और बिहार दोनों ही राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियों की केंद्र में अहम भूमिका मानी जा रही है. दोनों ही पार्टियां केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करती नजर आ रही हैं, वहीं विपक्ष को यह रास नहीं आ रहा है.

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Ritu Sharma
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बिहार राजनीति( Photo Credit : News Nation )

JDU Press Conference: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आंध्र प्रदेश और बिहार दोनों ही राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियों की केंद्र में अहम भूमिका मानी जा रही है. दोनों ही पार्टियां जहां केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करती नजर आ रही हैं, वहीं विपक्ष को यह बात रास नहीं आ रही है. बता दें कि केंद्र में मंत्रिमंडल के गठन के बाद बिहार की राजनीति में जबरदस्त हलचल देखने को मिल रही है. विपक्ष में खास कर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधती नजर आ रही है. विपक्ष का दावा है कि नीतीश कुमार बिहार के विशेष राज्य के दर्जे के लिए पर्याप्त जोर नहीं दे रहे हैं. साथ ही बिहार के सांसदों को मंत्रिमंडल गठन में कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिला है जिसकी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है.

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JDU का पलटवार 'लालू यादव पर आरोप'

आपको बता दें कि बुधवार, 12 जून को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम और अंजुम आरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि जब 2004 में यूपीए सरकार में आरजेडी की मजबूत स्थिति थी, तब लालू प्रसाद यादव ने बिहार के विकास की बात क्यों नहीं की. जेडीयू के प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि लालू यादव ने कभी भी केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा या जातिगत जनगणना की मांग नहीं उठाई.

वहीं जेडीयू प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम ने दावा किया कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव यूपीए सरकार में गृहमंत्री बनना चाहते थे. उनके पास उस समय 24 सांसद थे और उनकी स्थिति मजबूत थी, लेकिन उन्होंने बिहार के विकास के बजाय गृह मंत्रालय के लिए दबाव बनाया. हालांकि, उन्हें गृह मंत्रालय भी नहीं मिला और उन्हें रेल मंत्री बनाया गया. हिमराज ने आरोप लगाया कि लालू यादव ने रेल मंत्री पद का उपयोग अपने नाबालिग बच्चों के लिए धन अर्जित करने के लिए किया और बिहार के विकास की चिंता नहीं की.

विकास के मुद्दों पर राजनीतिक तेज

आपको बता दें कि जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में बिहार के 12 मंत्री थे, फिर भी बिहार से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम नहीं हुए. बिहार के विकास के मुद्दों को जोरदार तरीके से नहीं उठाया गया और न ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग की गई. अंजुम आरा ने कहा कि 2008 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लालू प्रसाद यादव ने यूपीए सरकार को गृह मंत्रालय की शर्त पर समर्थन दिया, जबकि उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी चाहिए थी. लालू यादव ने केवल अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी और बिहार के विकास के बारे में कोई कदम नहीं उठाया.

'नीतीश कुमार बिहार के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं'

जेडीयू के नेताओं ने आगे ये भी कहा कि वर्तमान में विपक्ष बिहार के विकास की बात करता है, लेकिन अतीत में जब उनके पास सत्ता थी, तो उन्होंने राज्य के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए. जेडीयू प्रवक्ताओं ने जोर दिया कि नीतीश कुमार बिहार के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं और विशेष राज्य के दर्जे की मांग को भी उचित मंचों पर उठाते रहे हैं.

बहरहाल, बिहार की राजनीति में वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो ये स्पष्ट है कि केंद्र में मंत्रिमंडल गठन के बाद से विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है. जेडीयू और आरजेडी के बीच ये टकराव बिहार की राजनीति को गर्मा रहा है. जहां एक ओर विपक्ष नीतीश कुमार पर निशाना साध रहा है, वहीं जेडीयू अपने नेता का बचाव करते हुए विपक्ष के पुराने कार्यकाल की नाकामियों को उजागर कर रहा है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है.

HIGHLIGHTS

  • मोदी सरकार के सहयोगी हैं नायडू-नीतीश
  • क्या UPA सरकार में गृहमंत्री बनना चाहते थे लालू यादव?
  • UPA सरकार में क्यों नहीं की स्पेशल स्टेटस की मांग

Source : News Nation Bureau

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