Bihar Politics 2022: बिहार में जिस तरह से साल, 2022 में सियासी हलचलें तेज हुई, आपको क्या लगता है कि 2022 में सियासी बिसात सिर्फ नीतीश ने ही बिछाई. ये कहिए कि नीतीश के साथ रहते बीजेपी ने बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने का बिगुल फूंक दिया था. नीतीश के साथ रहते पहले पटना में पार्टी के सात मोर्चा की महत्वपूर्ण बैठक और फिर नीतीश से अलग होने के बाद सीमांचल में शंखनाद. 22 में बीजेपी की ओर से तमाम कोशिशें हुई, 2024 और 2025 के लिए. नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाकर सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने सीमांचल भेदने का प्लान बनाया.
बीजेपी का प्लान 2024 और 2025
2020 में जनादेश के बाद फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरना और 2024 और 2025 के लिए बिहार में अपने बलबूते सियासी ताकत बढ़ाना. नीतीश से 22 में अलग होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह सीधे सीमांचल के दौरे पर पहुंचे. अपने दौरे से गृहमंत्री ने नीतीश को जवाब दिया और बताया कि आपके बिना भी बिहार में बीजेपी की क्या ताकत है. शाह के दौरे में ही नीतीश से टूटे रिश्तों का जवाब था.
शाह ने दौरे से दिया नीतीश को जवाब
दरअसल, सीमांचल के रास्ते जिस तरह घुसपैठ का मुद्दा उठता रहा है. राजनीति की लिहाज से ठीक उसी तरह यहां राजनीतिक दृष्टिकोण से घुसपैठ का रास्ता भी खुलता है. कहते हैं कि मुस्लिम बाहुल्य इस क्षेत्र में अगर किसी पार्टी की पकड़ मजबूत हो जाए तो वह बिहार सहित केंद्र की सत्ता में भी अपनी पकड़ मजबूत करने में सक्षम होते हैं. ऊपर से लालू और नीतीश की इस इलाके में पकड़ मजबूत है. इसलिए शाह ने इस मजबूत किले को ढाहने के लिए सीमांचल को चुना.
बैठक के बाद नीतीश ने छोड़ा बीजेपी का साथ
पटना में पहले बीजेपी की बैठक के 10 दिन बाद नीतीश ने बीजेपी को टाटा बाय बाय कह दिया तो बीजेपी ने भी महागठबंधन की सरकार बनने के एक महीने के अंदर सीमांचल में अपनी मौजूदगी दिखाई. नीतीश-लालू की नींद उड़ाने की पूरी प्लानिंग थी, गृहमंत्री अमित शाह के पास. पूर्णिया और किशनगंज में दो दिन का दौरा कर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नीतीश पर ताबड़तोड़ वार किये. अमित शाह अपने पूरे भाषण में ना सिर्फ नीतीश कुमार पर हमलावर दिखे, बल्कि वे लालू प्रसाद को भी आगाह करते दिखे. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद क़ानून व्यवस्था पर शाह ने सवाल उठाये और सीमांचल की धरती से 2024 में लालू-नीतीश के सूपड़ा साफ करने का दावा भी कर दिया.
नीतीश पर शाह का तंज
नीतीश को जवाब सिर्फ सीमांचल की धरती से ही नहीं मिला. कहने के लिए अमित शाह अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए सीमांचल में कह गये थे कि वे हर महीने बिहार आएंगे, लेकिन कार्यकर्ताओं में जोश भरने से ज्यादा शाह का नीतीश पर ये तंज था. सीमांचल दौरे के महज 17 दिनों के भीतर अमित शाह दौबारा बिहार में हुंकार भरने आये. मानों नीतीश से अलग होने के बाद मिशन बिहार की कमान उन्होंने खुद ही संभाल ली हो.
अमित शाह जेपी की जन्मस्थली सिताब दियारा में 11 अक्टूबर को पहुंचे. जेपी की जन्मभूमि पर अमित शाह ने फिर से मिशन बिहार को धार दी. लोकनायक जयप्रकाश की जयंती का अवसर ये जरूर था, लेकिन बीजेपी के पास इस अवसर को भुनाने का मौका भी. शाह मंच पर आये. लोगों से भारत माता की जय का नारा लगवाते हुए कहा कि यह नारा उन लोगों के हृदय तक जाए, जो कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं. शाह के इस सियासी हमले में साफ हो गया कि.वे महागठबंधन की सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ लालू प्रसाद यादव पर तीखे हमले कर रहे हैं.
बिहार में अबतक बीजेपी से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बन सका. ऊपर से जिसके साथ 2020 में जनादेश मिला, वो भी साथ छोड़ गया, लेकिन बीजेपी ने इसे चुनौती के तौर पर लिया. नीतीश की छत्रछाया से अलग होकर एकला चलो रे का संकल्प लिया और 22 में कई मौकों पर अपने संकल्प में बीजेपी को सफलता भी मिली.
HIGHLIGHTS
- नीतीश ने छोड़ा साथ तो बीजेपी ने बनाया प्लान
- महागठबंधन की सरकार बनते ही शाह का दौरा
- 2024 और 2025 के लिए बीजेपी ने कसी कमर
Source : News State Bihar Jharkhand