Kameshwar Chaupal Death: नहीं रहे श्रीराम मंदिर की नींव रखने वाले कामेश्वर चौपाल, दिल्ली में ली आखिरी सांस

Kameshwar Chaupal Death: अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर की नींव रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली, लेकिन ये कौन हैं और क्यों इन्हें याद किया जा रहा है तो आइए जानते हैं इनका बैकग्राउंड.

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Yashodhan.Sharma
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Kameshwar Chaupal passed away

Kameshwar Chaupal passed away Photograph: (social)

Bihar News: अयोध्या के श्रीराम मंदिर के शिलान्यास में पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली है. वह श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं विधान परिषद थे. पिछले एक वर्ष से वह बीमार चल रहे थे. संघ की तरफ से उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा मिल चुका है.    

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सुपौल में जन्मे थे चौपाल

बिहार के सुपौल स्थित कमरैल गांव में कामेश्वर चौपाल का जन्म हुआ था. उन्होंने अपनी मधुबनी जिले से शिक्षा प्राप्त की है. यहीं वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए थे. उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे. संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर का कॉलेज में दाखिला हुआ था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही उन्होंने खुद को संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित कर दिया था.

इसके बाद वह मधुबनी के जिला प्रचारक बनाये गये थे. यहां उन्होंने नौ नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की पहली ईंट रखी थी. उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कारससेवक इसमें जुटे हुए थे. उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव का जिम्मा संभाल रखा था.  

सीएम योगी ने जताया शोक

बता दें कि कामेश्वर चौपाल के निधन पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट के जरिए दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कामेश्वर जीवनभर धार्मिक और सामाजिक कार्यों में समर्पित रहे. उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि. 

सीएम योगी ने लिखा कि 'विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य एवं 9 नवम्बर 1989 को आयोजित ऐतिहासिक शिलान्यास समारोह में पूज्य संत गण की उपस्थिति में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की प्रथम शिला रखने वाले परम राम भक्त कामेश्वर चौपाल का निधन अत्यंत दुःखद है. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया था. उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें'.

कुछ ऐसा था उनका राजनीतिक बैकग्राउंड

कामेश्वर चौपाल ने 1991 में लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव में ताल ठोकी थी. बेगूसराय के बखरी से भी वह चुनाव लड़े, लेकिन दुर्भाग्यवश इस विधानसभा सीट से कामेश्वर चौपाल को हार का सामना करना पड़ा. वैसे, इसी तरह का दुर्भाग्य सुपौल का भी रहा, क्योंकि इस लोकसभा सीट ने भी उन्हें प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया. वह वहां से हार गए थे. 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. 

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