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शीशा तोड़कर ऐसे बची जान, ओडिशा ट्रेन हादसे से बचकर बिहार के लोगों ने सुनाई आपबीती

ओडिशा के बालासोर में भीषण रेल हादसे से आज पूरा देश सदमे में है. बता दें कि इस भयानक हादसे में जहां एक तरफ 288 लोगों की मौत हो गई है वहीं 900 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं.

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Ritu Sharma
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Odisha Breaking News

ओडिशा ट्रेन हादसे से बचकर आए बिहारी ( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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ओडिशा के बालासोर में भीषण रेल हादसे से आज पूरा देश सदमे में है. बता दें कि इस भयानक हादसे में जहां एक तरफ 288 लोगों की मौत हो गई है वहीं 900 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं और अगर बिहार की बात करें तो अब तक बिहार के 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हैं. ज्यादातर घायल अपने खर्चे पर एंबुलेंस से अपने घर लौट रहे हैं. बेगूसराय के 4 घायल 36 हजार में एंबुलेंस करके लौट आए हैं. उन्हें बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. साथ ही दो का इलाज ओडिशा में चल रहा है. बता दें की वहां का भयानक नजारा देख घायल अब भी कांप रहे हैं.इसके साथ ही बेगूसराय के घायलों की पहचान मुफस्सिल थाना क्षेत्र के चिलमिल पंचायत के हरदिया गांव निवासी मो. नसरूल्लाह (18), मो. हैदर (23), मो. आलिया (18) के अलावा चिलमिल गांव निवासी मो. रहमुल्लाह (21), मोहम्मद अखलाक (23), मो. तस्लीम (30) में हुई है.

आपको बता दें कि, इस पुरे मामले को लेकर घायल मजदूरों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, ''सभी बरौनी स्टेशन से गंगासागर एक्सप्रेस ट्रेन लेकर हावड़ा गए थे और हावड़ा से ट्रेन पकड़कर शालीमार गए थे. वे शालीमार से कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन से चेन्नई जा रहे थे, तभी शुक्रवार शाम करीब साढ़े सात बजे अचानक हादसा हो गया. वहीं, खिड़की का शीशा तोड़कर निकले बच्चों के शवों को देखकर हम किसी तरह बेहोश हो गए. होश में आने के बाद हमने अपने साथियों की तलाश शुरू कर दी, जिसमें चार ही मिल पाएं. इस पूरे मामले को लेकर जानकारी मिली कि दो साथियों मो. तसलीम और मो. आलिया को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है. घटना के बाद मजदूरों ने अपने परिजनों और गांव के लोगों को पूरे मामले की जानकारी दी. प्रशासन की ओर से मौके पर कोई खास इंतजाम नहीं किया गया था. ग्रामीणों ने चंदा कर 36 हजार रुपये में एंबुलेंस बुक कर घायलों को बेगूसराय लाया. फिलहाल चारों का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है.

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इसके साथ ही मोहम्मद हैदर ने बताया कि, पहले झटका लगा, गाड़ी पलटी और अचानक लाइट चली गई, सबकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और ऊपर का तार भी गिर गया. बिजली के हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से कई लोगों की मौत हो गई. हादसे के आधे घंटे बाद जब किसी तरह बाहर निकले तो देखा कि हर तरफ लाशें ही लाशें पड़ी हैं. वहीं, मो. अखलाक ने बताया कि जब ट्रेन में झटका महसूस हुआ तो हमे लगा कि ब्रेक लगाया गया होगा, लेकिन उस समय ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ चुका था. हम खिड़की का शीशा पैरों से तोड़कर बाहर आ गए. बाहर आने के बाद हमने देखा कि बोगियां लगातार पलट रही थीं. साथ ही ट्रेन के डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए थे. इस मामले को लेकर मो. नसरूल्लाह ने बताया कि, ''पहले दो ट्रेनें आपस में टकराई थीं, फिर तीसरी ट्रेन भी आपस में टकरा गई, हम उसी बोगी में थे, वह 4 से 5 बार पलट गई. मेरे सामने 20 से 22 लाशें पड़ी थीं, जिनमें 8 बच्चे थे.''

सुरक्षित यात्रियों को बस से ला रही बिहार सरकार

इसके साथ ही बिहार सरकार ने रेल हादसे में सुरक्षित बचे लोगों को बस से ला रही है.बालासोर से एक बस 40 यात्रियों को लेकर अररिया आ रही है, जबकि दूसरी बस 22 लोगों को लेकर पटना आ रही है.

HIGHLIGHTS

  • ओडिशा ट्रेन हादसे से बचकर आए बिहारी 
  • शीशा तोड़कर ऐसे बचाई थी जान
  • सामने पड़े थे 20-22 मृतकों के शव 

Source : News State Bihar Jharkhand

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