हाल ही में भोजपुर के जिला परिवहन पदाधिकारी कार्यालय से एक ऐसा सीन सामने आया जिसने सरकारी दफ्तरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. कार्यालय के एक क्लर्क, संजय कुमार ठाकुर, को काम के दौरान अपनी कुर्सी पर गहरी नींद में सोते हुए पाया गया. यह सीन न केवल कार्यालय के अन्य कर्मचारियों और आम जनता ने देखा, बल्कि इसका वीडियो भी कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.
सरकारी कार्यालय में सो रहा पदाधिकारी
इस घटना के बाद सरकारी कार्यालयों में काम करने की जिम्मेदारी और कर्मचारियों की लापरवाही पर चर्चा छिड़ गई है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जब लोगों का काम करवाने के लिए कार्यालय में आना-जाना हो रहा है, उस समय लिपिक संजय ठाकुर अपने काम को भूलकर कुर्सी पर आराम से सो रहे थे. लोग अपने काम के लिए वहां परेशान हो रहे थे, लेकिन क्लर्क महोदय को उनकी चिंता नहीं थी. इस घटना ने सरकारी दफ्तरों में कामकाज की धीमी प्रक्रिया और कर्मचारियों की असंवेदनशीलता को उजागर कर दिया है.
सरकारी दफ्तरों में लापरवाही की बानगी
यह घटना कोई एकमात्र उदाहरण नहीं है. सरकारी दफ्तरों में काम की धीमी गति और कर्मचारियों की लापरवाही से लोग अक्सर परेशान होते हैं. कई बार कर्मचारियों की छुट्टी या अनुपस्थिति की वजह से लोगों के महत्वपूर्ण काम अधूरे रह जाते हैं. इस तरह की घटनाएं यह बताती हैं कि कुछ कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को कितनी हल्के में लेते हैं. भोजपुर के जिला परिवहन कार्यालय की यह घटना भी ऐसी ही लापरवाही का उदाहरण है, जहां काम के वक्त एक क्लर्क कुर्सी पर नींद ले रहे थे.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया और सवाल
वीडियो के वायरल होने के बाद आम जनता में नाराजगी का माहौल है. लोग सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर किस तरह की कार्यशैली सरकारी कार्यालयों में अपनाई जा रही है? जब आम जनता अपने समय और संसाधनों का उपयोग कर कार्यालय में आती है, तो उनके काम करने के बजाय कर्मचारी आराम फरमाते हैं. यह स्थिति न केवल सरकारी व्यवस्था के प्रति लोगों के विश्वास को कम करती है, बल्कि सरकारी सेवा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.
जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी
इस मामले को लेकर जब एनबीटी ऑनलाइन ने भोजपुर के जिला परिवहन पदाधिकारी राजीव रंजन से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. यह चुप्पी इस मामले को और गंभीर बनाती है, क्योंकि अधिकारियों का इस मुद्दे पर कोई जवाब न देना भी उनकी लापरवाही का संकेत हो सकता है.