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झारखंड : दिग्गजों के आने से उत्साहित भाजपा की हरियाणा ने उड़ाई नींद!

भाजपा के नेताओं की मानें तो पार्टी ने एक रणनीति के तहत विपक्षियों का मनोबल तोड़ने के लिए विपक्षी दलों के ऐसे नेताओं को तोड़ने की योजना बनाई थी, जो अपनी पार्टी के नेतृत्व से नाराज थे.

Updated on: 25 Oct 2019, 10:05 AM

Patna:

झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर '65 पार' का नारा बुलंद करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कई दिग्गज नेताओं के पार्टी में शामिल होने से उत्साहित थी, लेकिन गुरुवार को दो राज्यों- खासकर हरियाणा और बिहार में हुए उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी है.

भाजपा के नेताओं की मानें तो पार्टी ने एक रणनीति के तहत विपक्षियों का मनोबल तोड़ने के लिए विपक्षी दलों के ऐसे नेताओं को तोड़ने की योजना बनाई थी, जो अपनी पार्टी के नेतृत्व से नाराज थे. भाजपा की यह रणनीति कामयाब भी रही. कांग्रेस और झामुमो में सेंध लगाते हुए सुखदेव भगत, मनोज यादव, कुणाल षाडंगी, ज़े पी़ पटेल और भानु प्रताप शाही जैसे विधायकों को भाजपा में शामिल भी कर लिया गया. इनके शमिल होने के बाद भाजपा खेमे का उत्साह और बढ़ा.

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इस साल हुए लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित 'कमल दल' अन्य दलों के दिग्गजों के आने के बाद खुद को जहां मजबूत मान रही थी, वहीं विपक्ष भी मायूस दिख रही थी. इस बीच, गुरुवार के चुनाव परिणामों ने विपक्षी दलों को संजीवनी दे दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव कहते हैं, "हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार उपचुनाव के नतीजा ने एक बार फिर भाजपा के खोखले विकास के दावों की हवा निकाल दी है. अब भाजपा का बड़बोलापन समाप्त हो जाएगा."

उन्होंने कहा कि भाजपा के बड़े नेता महाराष्ट्र में 200 और हरियाणा में 75 के पार का दावा कर रहे थे, लेकिन दो प्रदेशों के मतदाताओं ने भाजपा की आकांक्षाओं के अनुरूप बहुमत नहीं दिया. दोनों प्रदेशों के चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहे. उन्होंने कहा कि झारखंड में भी '65 पार' का नारा खोखला साबित होगा.

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झारखंड की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय ने भी मीडिया से कहा कि हरियाणा का चुनाव परिणाम भाजपा को सीख देने वाला है. उन्होंने स्पष्ट कहा, "भाजपा की रणनीति झारखंड में फिर से बड़ी जीत दर्ज करने की है, इसलिए हरियाणा से सीख लेते हुए ऐसे लोगों को टिकट देने से परहेज करेगी, जो जिताऊ नहीं होगा."

उन्होंने यह भी कहा कि इस परिणाम से स्पष्ट है कि अन्य दलों से आने वाले विधायकों को भी भाजपा टिकट देने में काफी सोच-विचार करेगी. भाजपा के प्रवक्ता इस बात को हालांकि नकारती हैं कि हरियाणा चुनाव परिणाम का यहां कोई प्रभाव पड़ेगा. भाजपा की प्रवक्ता मिस्फिका हसन ने आईएएनएस से कहा, "हरियाणा में पार्टी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंची, यह समीक्षा का विषय है और पार्टी नेतृत्व इसकी समीक्षा भी करेगी, मगर झारखंड के हालात हरियाणा से पूरी तरह अलग हैं."

उन्होंने कहा कि झारखंड में विपक्ष कहीं नहीं दिखता. विपक्ष में जो दिग्गज नेता थे, वे भी पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं. भाजपा के एक नेता का कहना है कि चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा जमीनी स्तर पर अपनी तैयारियों को अंजाम दे ही रही है. पार्टी संगठन मतदान केंद्र स्तर पर काम कर रहा है, वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव पूर्व ही ताबड़तोड़ प्रचार में जुटे हुए हैं. रघुवर का रथ अब तक राज्य के आधे विधानसभा क्षेत्रों को नाप चुका है.

बहरहाल, भाजपा खेमा विपक्षी दलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी में शामिल कराकर चुनाव से पूर्व ही खुद को मजबूत स्थिति में मान उत्साहित थी, लेकिन हरियाणा चुनाव के परिणाम ने भाजपा को फिर से सोचने को विवश कर दिया है. हालांकि, कौन किस पर भारी रहेगा, इसका फैसला तो जनता करेगी, लेकिन दिग्गज नेताओं के पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल होने से विपक्ष की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है.