बिहार में पिछले दो दिन से नीतीश कुमार की चाय की चर्चा सदन से सड़क तक हो रही है. दरअसल, रविवार को बाढ़ राहत कैम्पों का दौरा करने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीक़ी के गांव पहुंच गए, जहां उनका स्वागत एक प्याली चाय से किया गया. लेकिन इसके बाद इस चाय पीने और पिलाने का हर व्यक्ति अपने हिसाब से मतलब निकाल रहा है. वहीं, अब्दुल बारी सिद्दीकी और मेहमान नीतीश कुमार मौन साधे हुए हैं कि इस चाय पर क्या चर्चा हुई.
यह भी पढ़ें- बिहार में आसमानी बिजली की चपेट में आने से 9 लोगों की मौत
वहीं दूसरी ओर सोमवार को उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान बिहार विधान परिषद में कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए लड़ेगा. लेकिन यह समझ में किसी को नहीं आया कि आखिर सुशील मोदी को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि चर्चा राज्य के वित पर हो और मुख्य मुद्दा नीतीश कुमार का नेतृत्व.
राबड़ी देवी ने साधा निशाना
वहीं विधान परिषद में राजद की नेता रबड़ी देवी ने कहा कि लगता हैं मुख्य मंत्री नीतीश कुमार चाय पीने क्या गये, उनसे बीजेपी वाले खासकर सुशील मोदी डर गए. मंगलवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा में मौजूद थे, तब खुद अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने सुशील मोदी से पूछा कि ऐसा क्या दबाव था कि वितिय मामलों में राजनीतिक विषय मतलब नेतृत्व का मामला उठाना पड़ रहा है. इस पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने चुटकी भी ली कि कहीं परेशानी का कारण आप तो नहीं हैं?
फिलहाल चाय पर चर्चा जारी है. बीजेपी निश्चित रूप से राजद नेताओं के नीतीश कुमार के प्रति सार्वजनिक प्रेम से परेशान दिख रही है. लेकिन जनता दल यूनाइटेड के नेता खुश हैं कि एक प्याली चाय पी लेने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ना केवल बीजेपी ने आनन-फानन में 2020 का नेता मान लिया.
Source : News Nation Bureau