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नदी-तालाबों में डूबने से न मरें बच्चे, इसलिए बिहार सरकार उठाने जा रही है यह कदम

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नदियों और तालाबों में डूबने से हो रही मौतों की संख्या में हुई वृद्धि को देखते हुए राज्य के गांवों में तैराकी प्रशिक्षण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है.

Updated on: 09 Jan 2020, 10:42 AM

पटना:

बिहार में बच्चों को अब तैराकी सीखने के लिए दूर-दराज जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि अब तैराकी प्रशिक्षण केंद्र राज्य के गांवों में खुलने वाले हैं. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नदियों और तालाबों में डूबने से हो रही मौतों की संख्या में हुई वृद्धि को देखते हुए राज्य के गांवों में तैराकी प्रशिक्षण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है, ताकि लोग तैरने में सक्षम हो सकें. प्राधिकरण के सदस्य पी. एन. राय ने कहा कि इसका मकसद सबको तैरना सिखाना और डूबने से बचाना है. उन्होंने कहा कि प्राधिकरण सभी जिलों के गांवों में तैराकी सिखाने का प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगा.

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प्राधिकरण की कोशिश है कि पानी में डूबने से किसी की मौत नहीं हो. उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले साल 630 लोगों की पानी में डूबने से मौत हुई है. मरने वालों में अधिक लडकियां हैं. उन्होंने कहा कि इन प्रशिक्षण केंद्रों में छह से 18 वर्ष के लड़के-लड़कियां तैराकी के प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे.

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बिहार के खगड़िया और वैशाली में 46 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो अन्य गांवों में जाकर प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण देंगे. प्राधिकरण का कहना है कि 15 फरवरी से खगड़िया और वैशाली में तैराकी प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ कर दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के पूर्व प्रशिक्षणार्थियों के अभिभावकों से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है.