बिहार में उतर रहा बाढ़ का पानी, टूटे तटबंध किए जा रहे दुरुस्त
जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि अपराह्न दो बजे कोसी नदी का बहाव वीरपुर बैराज पर 1,01,175 क्यूसेक, गंडक नदी का बहाव वाल्मीकिनगर बैराज पर 67,100 क्यूसेक था.
नई दिल्ली:
बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से बाढ़ का पानी अब उतरने लगा है. नदियों के जलस्तर में भी कमी आई है. इस बीच जल संसाधन विभाग क्षतिग्रस्त तटबंधों की मरम्मत में जुट गया है. जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि अपराह्न दो बजे कोसी नदी का बहाव वीरपुर बैराज पर 1,01,175 क्यूसेक, गंडक नदी का बहाव वाल्मीकिनगर बैराज पर 67,100 क्यूसेक था. बागमती नदी ढेंग, सोनाखान व डुबाधार में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है तथा जलस्तर और बढ़ने के आसार हैं. अन्य सभी प्रमुख नदियों का जलस्तर स्थिर है.
जल संसाधन विभाग के मुताबिक, भागलपुर जिले के बटेश्वरस्थान से खवासपुर के बीच गंगा नदी के दाएं तट पर पीरपैंती प्रखंड में पुआ के समीप बाढ़ से बचाव के कार्य कराए जा रहे हैं. कमला बलान तटबंध के क्षतिग्रस्त भाग पर मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया गया है और दोनों कट-एंड को जोड़ने का कार्य अंतिम चरण में है.
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मुजफ्फरपुर जिला के औराई प्रखंड में बागमती नदी के बेनीपुर चैनल की मरम्मत का कार्य भी किया जा रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि बिहार के 13 जिलों- शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और पश्चिमी चंपारण जिले में बाढ़ से अब तक 130 लोगों की मौत हुई है, जबकि लगभग 88 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं.
आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में क्षति के आकलन का कार्य शुरू कर दिया गया है. आकलन के आधार पर ही क्षति का मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मछुआरे की नाव और मछली पकड़ने वाले जाल की क्षति की भरपाई भी की जाएगी. क्षति का पूरा ब्यौरा उपलब्ध होने के बाद नियम के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा.
मंत्री ने कहा, "मछुआरों के नाव और जाल अगर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए तो मरम्मत के लिए 21 सौ रुपये दिए जाएंगे, जबकि पूर्ण क्षति की हालत में इस मद में 9600 रुपये का भुगतान होगा. दुधारू गाय-भैंस के एवज में किसानों को 30 हजार रुपया दिया जाएगा, जबकि बैल की मौत पर 25 हजार रुपये देने का प्रावधान है." मंत्री ने दावा किया कि बाढ़ के चलते क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत कर उसे चलने के योग्य बनाया जा रहा है.
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